मध्यप्रदेश के चंबल अंचल में भिंड पुलिस एक मानवीय कदम उठाते इुए पहली बार ऐसे गुंडों और हिस्ट्रीशीटरों की फाइलें बंद करने की तैयारी है, जो बीते 15 सालों से किसी अपराध में लिप्त नहीं हैं।
जिले में वर्तमान में 550 गुंडा और 250 हिस्ट्रीशीटरों का रिकॉर्ड थानों में दर्ज है, जिनकी पिछले डेढ़-दो दशक से किसी आपराधिक गतिविधि में संलिप्तता नहीं पाई गई है, इसके बावजूद किसी भी वारदात के बाद पुलिस इन लोगों को थाने बुलाकर पूछताछ करती है। इस व्यवस्था से अब बदलाव की शुरुआत की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक डा. असित यादव ने जिले के सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों से ऐसे बदमाशों की सूची तैयार कर भेजें, जिन्होंने लंबे समय से अपराध नहीं किया है। यह सूची अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) के माध्यम से अनुमोदित होकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचेगी, जहां पुलिस अधीक्षक स्तर पर क्लोजर रिपोर्ट लगाकर फाइल को बंद किया जाएगा।
एसपी डॉ. यादव ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य सुधर चुके लोगों को दोबारा अपराध की दुनिया में न धकेलना है। साथ ही इससे पुलिस का समय और संसाधन भी बचेंगे। सामाजिक पुनर्वास की दिशा में इस कदम से न केवल पुलिस और जनता के बीच विश्वास बढ़ेगा, बल्कि अपराधियों के मन में भी सुधार की उम्मीद जगेगी।
यदि यह प्रयोग सफल होता है तो यह पूरे प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों के लिए एक मॉडल बन सकता है। प्रयास है कि जो लोग अपराध की दुनिया से बाहर आ चुके हैं, उन्हें पुलिस अनावश्यक रूप से परेशान न करें। उसे समाज में पुन: स्थापित होने का अवसर मिलना चाहिए।
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