भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति है। इस बीच भारत और जापान ने समुद्र में युद्धाभ्यास किया है। इसमें कई युद्धपोत शामिल थे। इसमें दोनों देशों से दो-दो लड़ाकू जहाजों ने हिस्सा लिया।
इस युद्धाभ्यास की घोषणा शनिवार को हुई थी। हालांकि भारत और जापान के बीच नौसेना का यह रूटीन अभ्यास था। यह अभ्यास आपसी संबंध को बढ़ावा देने कि लिए किया गया। बता दें कि इसकी टाइमिंग ऐसे समय पर है जब भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव चरम पर है।
नेशनल मैरिटाइम फाउंडेशन के महानिदेशक वाइस-एडमिरल प्रदीप चौहान ने कहा कि हम रणनीतिक बातचीत के लिए अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नौसेनाओं ने युद्ध के उद्देश्यों से अभ्यास नहीं किया है।
बता दें कि पूर्वी चीन सागर में द्वीपों को लेकर चीन का जापान से भी विवाद है। भारतीय और जापानी नौसेना ने यह हिंद महासागर में चीन के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए संयुक्त युद्धाभ्यास किया है।
वहीं इस पर नई दिल्ली में स्थित जापानी दूतावास ने कहा कि भारत और जापान का पिछले तीन साल में यह 15वां युद्धाभ्यास है। दूतावास के प्रवक्ता तोशीहाइड एंडो ने कहा कि युद्धाभ्यास में भारत की ओर से आईएनएस राणा और आईएनएस कुलुश जबकि जापानी नौसेना के जेएस करिश्मा और जेएस शिमायुकी युद्धपोत शामिल हुए थे।
मालूम हो कि जापान उन देशों में से एक था जिसने डोकलम विवाद के दौरान सार्वजनिक रूप से भारत का समर्थन किया था। वहीं जापान ने केवल गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के शहीद होने पर संवेदना व्यक्त की है। हालंकि जापान ने चीन पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
जापानी नौसेना ने हाल ही के कुछ वर्षों में खुद को काफी विस्तरित और मजबूत किया है। जापान के पास मौजूदा समय में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ गैर परमाणु पनडुब्बी है।
यह अत्याधुनिक टेकनोलॉजी से लैस है। रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर पीस एंड सिक्योरिटी के जापानी रक्षा थिंक टैंक के प्रमुख माशी निशिहारा ने कहा कि हम पनडुब्बी का पता लगाने में हर प्रकार से सक्षम और अग्रणी हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि न हम केवल हम पता लगा सकते हैं बल्कि हम किसी भी प्रकार की पनडुब्बी की पहचान भी कर सकते हैं।