लखनऊ। भाजपा सांसद व जिले के दिग्गज नेता हुकुम सिंह का आज देर शाम नोएडा के जेपी अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उनके निधन से सियासी हल्के में शोक छा गया। भाजपा सांसद बीते साल कैराना में रंगदारी और वहां से व्यापारियों के पलायन प्रकरण को लेकर काफी चर्चाओं में आए थे।
वह प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की सरकारों में संसदीय कार्य मंत्री समेत अहम पदों पर रह चुके थे। भाजपा सांसद हुकुम सिंह पिछले माह फेफड़े में संक्रमण के कारण जेपी अस्पताल में भर्ती किए थे। वह काफी दिनों से वेंटिलेटर पर थे। हुकुम सिंह के निधन की खबर सुनकर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय तत्काल जेपी अस्पताल पहुंच गए। हुकुम सिंह की गिनती पश्चिमी उत्तर के दिग्गज नेताओं में थी। इस खबर से मुजफ्फरनगर और शामली के सियासी हल्के में शोक छा गया।
वकालत को बनाया शुरुआती पेशा
वह मुजफ्फरनगर जिले के कैराना में ही रहते हैं। उनका जन्म 5 अप्रैल 1938 को हुआ था। बचपन से ही वह पढ़ाई में काफी होशियार थे। कैराना में इंटर की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय भेजा गया। वहां पर हुकुमसिंह ने बीए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। इस बीच 13 जून 1958 को उनकी शादी रेवती सिंह से हो गई।
उन्होंने वकालत का पेशा अपना लिया और प्रैक्टिस करने लगे। इसी दौरान हुकुम सिंह ने जज बनने की परीक्षा पीसीएस (जे) भी पास की। जज की नौकरी शुरू करते, इससे पहले चीन ने भारत पर हमला कर दिया और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने युवाओं से देशसेवा के लिए सेना में भर्ती होने के आह्वान पर वह सेना में चले गए।
1963 में वह भारतीय सेना में अधिकारी हो गए। हुकुमसिंह ने सैन्य अधिकारी 1965 में पाकिस्तान के हमले के समय अपनी टुकड़ी के साथ पाकिस्तानी सेना का सामना किया। इस समय कैप्टन हुकुमसिंह राजौरी के पूंछ सेक्टर में तैनात थे। जब सब सामान्य होने पर 1969 में उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया और फिर वकालत करने लगे।
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