अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है और रामलला के मंदिर में माता सीता को भी खास स्थान दिया जाएगा. इसी भाव के साथ मंदिर निर्माण में श्रीलंका के अशोक वाटिका स्थित सीता एलिया के पत्थर का भी इस्तेमाल होगा. सीता एलिया वह स्थान है, जहां माता सीता को रावण ने कैद करके रखा था. इस पत्थर को भारत में नियुक्त श्रीलंका के राजदूत मिलिंदा मारागोदा को सौंप दिया गया है, अब इस पवित्र पत्थर को भारत लाया जाएगा.
श्रीलंका स्थित सीता एलिया की एक शिला का उपयोग अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में समुचित स्थान पर किया जाएगा. मान्यताओं के मुताबिक सीता एलिया वह स्थान है जहां देवी सीता को दशानन रावण ने अपनी राजधानी की एक सुरम्य वाटिका में बंदी के रूप में 11 महीने तक रखा था. तीन पहाड़ियों में से एक सुंदर पर्वत पर स्थित सीता एलिया की एक शिला को श्रीलंका के हाईकोर्ट की तरफ से मौजूदा श्रीलंका के राजदूत मिलिंडा मोरागोड़ा भारत लेकर आएंगे.
मान्यताओं के मुताबिक माता सीता को अशोक वृक्षों से सजी एक सुंदर वाटिका में रखा गया था. जहां नाग के फन के आकार की गुफा और पास ही सुंदर झरना भी है, जिसे सीता एलिया वाटिका कहते हैं. वर्तमान में इस स्थान पर श्रीराम जानकी का एक सुंदर मंदिर है. इस मंदिर को सीता अम्मन कोविल के नाम से जाना जाता है. यह स्थान नुआरा एलिया से उदा घाटी तक जाने वाली एक मुख्य सड़क पर 5 मील की दूरी पर स्थित है.
ऐसा कहा जाता है कि सीता एलिया में आज भी भगवान हनुमानजी के पैरों के निशान मौजूद हैं. इसके साथ ही इस जगह पर माता सीता, भगवान श्री राम और लक्ष्मण की मूर्ति को रखा गया है. इस क्षेत्र में आज भी अशोक के लाखों विशाल पेड़ मौजूद हैं. कहा जाता है कि इसी कारण इस इलाके को अशोक वाटिका के नाम से जाना जाता था.
सीता एलिया के पास से एक नदी भी बहती है, जिसे सीता के नाम से जानते हैं. इस नदी के इस पार की मिट्टी पीले रंग की है जबकि नदी के पार की मिट्टी काली है. ऐसा कहा जाता है कि जब लंका को हनुमानजी ने आग लगाया था, उसके बाद से नदी के दूसरी तरफ की मिट्टी काली हो गई. चूंकि, इस आग से अशोक वाटिका के क्षेत्र को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था, इसलिए इधर की मिट्टी पीले रंग की रह गई.