किंगफिशर लोन मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच से पता चला है कि विजय माल्या ने 6000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज शेल कंपनियों के जरिए देश से बाहर निकाला है. इन तथ्यों के साथ जांच एजेंसियां बहुत जल्द इंग्लैंड में रह रहे कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ नई चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में हैं.
जांच एजेंसियों के मुताबिक विजय माल्या ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले एक दर्जन बैंकों के कंसॉर्टियम से 2005 से 2010 के बीच 6,027 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. ब्याज समेत यह कर्ज मौजूदा समय में 9000 करोड़ रुपये से अधिक है.
विजय माल्या को आईडीबीआई बैंक लोन फ्रॉड मामले में पहले ही दोषी करार दिया जा चुका है और बीते एक साल से माल्या की इंग्लैंड से प्रत्यर्पण की कोशिश की जा रही है. मई में दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक विजय माल्या ने आईडीबीआई बैंक से लिए लोन की आधी से ज्यादा रकम को कम से कम आधा दर्जन शेल कंपनियों की मदद से देश के बाहर निकाल लिया है. इन शेल कंपनियों को खोलने के लिए विजय माल्या ने अपने निजी स्टाफ के साथ-साथ कंपनी के रिटायर्ड कर्मचारियों की मदद ली है.
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आसान होगा माल्या का प्रत्यर्पण
विजय माल्या का इंग्लैंड से प्रत्यर्पण की कोशिश में लगी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को उम्मीद है कि इन नए खुलासों से उनका काम आसान हो जाएगा. इंग्लैंड के साथ प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक यह जरूरी है कि भारत में कानून उल्लंघन के साथ-साथ माल्या पर ब्रिटिश कानून के उल्लंघन का मामला भी साबित हो. लिहाजा प्रत्यर्पण के लिए भारतीय जांच एजेंसियों को इंग्लैंड की अदालत में यह साबित करना होगा माल्या ने सरकारी बैंकों के साथ धोखाधड़ी करते हुए मनीलॉन्डरिंग का सहारा लेकर देश से पैसा बाहर निकाला है.
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते माल्या के खिलाफ ब्रिटिश सरकार ने जांच का आदेश दिया है जिससे यह पता किया जा सके कि क्या शेल कंपनियों के उसके कारोबार में माल्या की इंग्लैंड में रजिस्टर्ड कंपनियां भी शामिल हैं.