इंसेफेलाइटिस की वजह से दम तोड़ने वालों में देवरिया का रितिक (4), रूबीन (2), कमलावती के नाम शामिल हैं।
इसके अलावा विभिन्न वजहों से बारह अन्य बच्चों की भी मौत हो गई। वहीं बीते चौबीस घंटे के दौरान भर्ती मरीजों में बिहार के एक देवरिया के तीन व सिद्धार्थनगर का एक, कुशीनगर के दो मरीज शामिल हैं। मेडिकल कॉलेज में जनवरी से अब तक इंसेफेलाइटिस से करीब 335 बच्चों की मौतें हो चुकी है, जबकि अभी 95 मरीजों का इलाज चल रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक हॉस्पिटल के कुछ और रिकॉर्ड्स सामने आए हैं। रिकॉर्ड्स की माने तो यहां पिछले चार दिनों में 333 से 360 मरीज दाखिल हुए हैं और रोज 10 से 12 की मौत हो रही है। 7 अक्तूबर को 12, 8 को 20, 9 को 18 और 20 को 19 की मौत हुई है।
बताया जा रहा है कि ये ज्यादार मौतें हॉस्पिटल के नियोनेतल इंटेनसीव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में हो रही है, जिसके पीछे कई कारण हैं। इससे पहले अगस्त के दूसरे हफ्ते में करीब 60 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें अधिकतर मासूम थे। मासूम की एक साथ हुई मौतों के बाद यूपी की योगी सरकार सवालों के घेरे में आ गई थी। जांच में अस्पताल की बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ था और डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही भी सामने आई थी।
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