भारत को 22 सी गार्जियन ड्रोन देने के फैसले से न केवल दोनों देशों के रिलेशन बेहतर होंगे बल्कि अमेरिका में 2 हजार नए जॉब्स भी आएंगे।
ये बात भारतीय मूल के एक टॉप अमेरिकी अफसर ने कही है। नरेंद्र मोदी की अमेरिका विजिट के दौरान भारत को 2 बिलियन डॉलर (करीब 12818 करोड़ रु.) ड्रोन दिए जाने पर डोनाल्ड ट्रम्प ने सहमति जताई थी। इस ड्रोन से भारत की 7500 किलोमीटर लंबी कोस्टलाइन पर नजर रखी जाएगी।
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न्यूज एजेंसी के मुताबिक यूएस एंड इंटरनेशनल स्ट्रैटजिक डेवलपमेंट, जनरल एटॉमिक्स के चीफ एग्जीक्यूटिव विवेक लाल ने कहा, “भारत को ड्रोन दिए जाने के दोनों देशों के बाइलेट्रल रिलेशन और मजबूत होंगे। अमेरिका पहली बार किसी ऐसे देश को ये ड्रोन देने जा रहा है जो नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) का मेंबर नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “चीन की नजर हमेशा से साउथ चाइना सी पर रही है। ऐसे में भारत को सी ड्रोन दिया जाना एक तरह से हिंद महासागर में पावर बैलेंस करने में मददगार साबित होगा। सी गार्जियन अमेरिका और उसकी सहयोगी फौजों का एक अहम इक्विपमेंट है। ये 40 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है। लिहाजा इससे भारत की निगरानी की ताकत और बढ़ेगी।”
बता दें कि हाल ही में भारत ने इजरायल से 10 हेरॉन ड्रोन्स की डील की है। इनकी कीमत 400 मिलियन डॉलर है। इजरायल के हेरॉन को अमेरिकी ड्रोन का कॉम्पिटीटर माना जाता है। लाल ने ये भी कहा कि अमेरिका के भारत को ड्रोन देने से इजरायल की डील पर असर नहीं पड़ेगा।
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