टेक्नॉलॉजी दिग्गज ऐपल इस बार iPhone स्लो होने के लिए सुर्खियों में है. हाल ही कंपनी के तरफ से बताया गया कि पुराने आईफोन की लाइफ बढ़ाने के लिए उसे थोड़ा स्लो किया जाता है. इसकी वजह बैटरी भी बताई गई जो लिथियम आयन की बनी होती है.
जाहिर है यह खबर iPhone यूजर्स को नागवार गुजरी होगी, क्योंकि iPhone की अपनी फैन फौलॉइंग है और यह दुनिया के दूसरे स्मार्टफोन्स के मुकाबले महंगा भी होता है. इसलिए लोगों का परेशान होना भी लाजमी है, क्योंकि इसके लिए वो ज्यादा पैसा देते हैं और अब जब उन्हें ये सुनने को मिल रहा है कि कंपनी जान बुझकर उनका फोन स्लो कर रही है.
इस मामले को लेकर ऐपल पर लोग लगातार मुकदमा कर रहे हैं. न्यू यॉर्क, न्यू जर्सी और फ्लोरिडा के कुछ लोगों ने इस मामले पर ऐपल को कोर्ट में घसीटने की ठानी है. मुकदमे में कहा गया है कि उनके iPhone को कंपनी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए स्लो कर रही है. इस मुकदमे में लोगों ने कहा है कि उन्होंने पुराना iPhone स्लो होने की वजह से नया iPhone खरीदा है. पहले उनके पास iPhone 6, 6 Plus और iPhone 7 मॉडल थे.
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते भी कैलिफॉर्निया और इजरायल में कंपनी पर इसी मामले को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया था.
ऐपल के खिलाफ किए गए ताजा मुकदमे में iPhone ऑनर्स ने कहा है कि ऐपल ने फोन स्लो करने से पहले उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं दी है और पुरानी बैटरी को न बदलने को लेकर कंपनी पर फ्रॉड करने का मामला दर्ज किया गया है.
कैलिफोर्निया में ही एक महिला वियोलेटा मैल्यन ने ऐपल पर iPhone स्लो करने को लेकर मुकदमा किया है . इस मुकदमे में महिला के वकीलों ने कंपनी से बतौर मुआवजा लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर मांगा है.
इजरायल में किए गए एक मुकदमे में पुराने iPhone स्लो होने की वजह से कंपनी से 120 मिलियन डॉलर मुआवजे की मांग की गई है.
सोशल मीडिया पर फिलहाल ये बहस छिड़ी है कि कंपनी को अगर फोन की लाइफ बढ़ाने के लिए iPhone स्लो करना था तो इसके लिए यूजर्स को नोटिफिकेशन देना चाहिए था. लेकिन कंपनी ने इसमें कोई पार्दर्शिता नहीं रखी है.