राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि गाय एकमात्र ऐसी जीव है जो ऑक्सिजन लेने के साथ ही ऑक्सिजन छोड़ती भी है।
– शनिवार को मकर संक्रांति के मौके पर अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से हिंगोनिया पुनर्वास केंद्र पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
– इस कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षा मंत्री देवनानी ने कहा कि गाय ऑक्सिजन ग्रहण करने के साथ ही ऑक्सिजन छोड़ती भी है। इतना ही नहीं गाय के गोबर के वैज्ञानिक महत्व को समझाते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि गोबर से रेडियोऐक्टिव तत्वों को बेअसर किया जा सकता है। हालांकि यह कैसे होता है, इस बात को भी उन्होंने समझाना जरूरी नहीं समझा।
– राजस्थान यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के हेड रहे सरदार सिंह बताते हैं, ‘रेडियोऐक्टिव मटीरियल को सोखने के लिए आयरन, लीड और कंक्रीट जैसे चीजों की जरूरत होती है जबकि गाय के गोबर में हल्के तत्व जैसे कार्बन, नाइट्रोजन और फॉसफॉरस मौजूद होते हैं।’ गायों के आध्यात्मिक महत्व को समझाते हुए देवनानी कहते हैं, ‘अगर आपको सर्दी-जुखाम है तो सिर्फ गाय के नजदीक जाने से आपकी यह बीमारी दूर हो जाएगी।’ देवनानी यहीं नहीं रुके। गाय के गोबर के गौमूत्र के चिकित्सीय महत्व के बारे में दर्शकों को बताते हुए उन्होंने कहा कि गाय के गोबर में विटमिन बी होता है।
– शिक्षा मंत्री कहते हैं, ‘गाय के गोबर से बने उपलों को जलाने से वातावरण हानिकारक माइक्रोऑर्गैनिजम और मच्छरों से मुक्त होने के साथ-साथ आसपास की बदबू को भी दूर करता है जिससे वह जगह रहने के लिए मुफीद हो जाती है। साथ ही गाय का गोबर सबसे बढ़िया खाद माना जाता है। खेत की जुताई के वक्त गाय खेतों में गौमूत्र और गोबर कर देती है जो फसल के लिए खाद का काम करता है। एक गाय इतना गोबर करती है कि उससे करीब 7 एकड़ जमीन को उपजाऊ बनाया जा सकता है जबकि उसके गौमूत्र से करीब 100 एकड़ खेत को कीटनाशकों से बचाया जा सकता है।’
– शिक्षा मंत्री ने कहा कि समाज आधुनिक बनने की प्रक्रिया में गायों के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व की अनदेखी कर रहा है। ‘यह बेहद दुख की बात है कि लोग गायों की पारंपरिक और वैज्ञानिक महत्ता को भूलते जा रहे हैं। यह समाज का दायित्व है कि स्वच्छता और ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने में काम कर रहे लोग खासतौर पर युवा, आगे आएं और गायों का संरक्षण करें।’
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