बिहार: लॉकअप में युवक की पिटाई का मामला पहुंचा मानवाधिकार आयोग

पीड़ित परिवार का कहना है कि थाने से रिहा करने के लिए प्रभारी ने 1 लाख रुपये मांगे थे, जिसमें से 70 हजार रुपये लेने के बाद दोनों को छोड़ा गया। इसके अलावा, पुलिस ने रौशन प्रताप सिंह की अपाचे बाइक जब्त कर ली और उसे लौटाने के लिए 30 हजार रुपये की अतिरिक्त मांग कर रही है।

मुजफ्फरपुर जिले के पानापुर ओपी में लॉकअप के अंदर युवक की बेरहमी से पिटाई का मामला अब मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है। पीड़ित परिवार ने अधिवक्ता एस. के. झा के माध्यम से बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग (बीएचआरसी) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।

क्या है पूरा मामला?
पुलिस ने पहले बाइक चोरी के आरोप में अमन कुमार नामक युवक को हिरासत में लिया था। जब उसके जीजा रौशन प्रताप सिंह उससे मिलने थाने पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें भी लॉकअप में डाल दिया और बेरहमी से पीटा। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि पानापुर ओपी प्रभारी राजबल्लभ यादव ने अमन कुमार को छोड़ने के बदले एक लाख रुपये की मांग की। जब रौशन प्रताप सिंह ने इसका विरोध किया, तो उन्हें भी हाजत में बंद कर उनका मुंह, हाथ और पैर बाँधकर बेरहमी से मारपीट की गई।

रिहाई के लिए मांगी गई रिश्वत
पीड़ित परिवार का कहना है कि थाने से रिहा करने के लिए प्रभारी ने 1 लाख रुपये मांगे थे, जिसमें से 70 हजार रुपये लेने के बाद दोनों को छोड़ा गया। इसके अलावा, पुलिस ने रौशन प्रताप सिंह की अपाचे बाइक जब्त कर ली और उसे लौटाने के लिए 30 हजार रुपये की अतिरिक्त मांग कर रही है।

पीड़ित की हालत गंभीर
मारपीट में गंभीर रूप से घायल रौशन प्रताप सिंह को पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, काँटी ले जाया गया, जहाँ से उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर रेफर कर दिया गया। फिलहाल उनका इलाज एसकेएमसीएच में चल रहा है, और उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है।

मानवाधिकार आयोग करेगा कार्रवाई
मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने इस मामले को मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीर श्रेणी में रखते हुए उच्चस्तरीय जाँच की माँग की है। उनके अनुसार, पुलिस किसी भी आरोपी से पूछताछ कर सकती है, लेकिन हिरासत में इस तरह की पिटाई न केवल मानवाधिकारों का हनन है, बल्कि यह जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। एनएचआरसी और बीएचआरसी ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और जल्द ही पुलिस से पूरी रिपोर्ट तलब की जाएगी। पूर्व में भी मानवाधिकार आयोग ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारियों को तलब कर चुका है। उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में भी पीड़ित को न्याय मिलेगा।

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