बिटकॉइन (cryptocurrency) का क्रेज तेजी से बढ़ा है क्योंकि बीते एक साल में इसकी कीमतों में तेज उछाल दर्ज किया गया है. लेकिन एक और आभासी मुद्रा इसे टक्कर देने वाली है, वह है ईथरम या ईथर. इस आभासी मुद्रा की लॉन्चिंग के बाद दो साल तक कीमत 10 डॉलर थी लेकिन 2017 में यह अचानक इतना बढ़ी कि 1400 डॉलर (जनवरी 2018) के स्तर पर पहुंच गई. अब निवेशक उसमें पैसा लगा रहे हैं. 19 वर्षीय रूसी प्रोग्रामर ने 2015 में इसे लॉन्च किया था. हालांकि विभिन्न देशों के क्रिप्टोकरंसी में कारोबार पर पाबंदी लगाने के बाद एक ईथरम की कीमत गिरकर 700 डॉलर पर आ गई. इसके बाद भी निवेशक अन्य क्रिप्टोकरंसी की तुलना में इसमें निवेश को आकर्षक मान रहे हैं. उनका मानना है कि यह बिटकॉइन को पीछे छोड़ देगी.
सबसे ज्यादा होगा ईथरम का मार्केट कैप
ब्लॉकचेन बोर्ड ऑफ डेरिवेटिव्ज के डायरेक्टर (बिजनेस डेवलपमेंट) हुबर्ट ओजेवस्की ने बताया कि ईथरम बाजार पूंजीकरण के मामले में सारी क्रिप्टोकरंसी को पीछे छोड़ देगी. 2009 में रिलीज के बाद जब बिटकॉइन दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल करंसी बना था तो उस समय दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही थी. ऐसी मंदी जो दशकों बाद देखने को मिली. बिटकॉइन से जुड़े लोगों को लग रहा था कि बिटक्वाइन समूचे फाइनेंशियल सिस्टम को बदल कर रख देगा. उसके आने के बाद से करीब 1500 क्रिप्टोकरंसी आईं. उनको लाने वाले ऐसे-ऐसे लुभावने ऑफर लेकर आए जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. इस मामले में लाइटकॉइन और बिटकॉइन कैश का उदाहरण दिया गया, जिसमें ट्रांजेक्शन कॉस्ट कम आती थी. उस दौरान आई ईथरम का उद्देश्य न सिर्फ तकनीकी स्तर पर निवेशकों को अच्छा प्लेटफार्म उपलब्ध कराना था बल्कि बिटकॉइन को मात देना भी था.
सोने के बराबर आंका जाता है बिटकॉइन को
बिटकॉइन वैसे तो आभासी मुद्रा है लेकिन इसका मूल्य सोने के बराबर आंका जाता है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने निवेशक एलेक्जेंड्रा सोलबर्गर के हवाले से कहा कि बिटकॉइन का सिस्टम सीमित है इसलिए मैंने अपने क्रिप्टोकरंसी पोर्टफोलियो में बदलाव किया और ईथिरम में निवेश किया. यहां मेरा अनुभव एकदम अलग था. इसे एक सॉफ्टवेयर की तरह विकसित किया गया है. इसे चलाने के लिए किसी अन्य टूल की जरूरत नहीं पड़ती. इसे इसके सहज प्लेटफॉर्म के कारण ही पसंद किया जा रहा है.
ये वर्चुअल करंसी भी हैं लोकप्रिय
लाइटकॉइन – मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के ग्रेजुएट और गूगल के एक पूर्व इंजीनियर चार्ली ली ने इसे वर्ष 2011 में बनाया था.
जेडकैश – 2016 में बनी इस क्रिप्टोकरेंसी के बारे में दावा है कि सुरक्षा और प्राइवेसी के मामले में यह बिटकॉइन से काफी आगे है.
डैश – यह बिटकॉइन जैसा है. इसे डार्ककॉइन कहते हैं. ईवान डफफील्ड ने 2014 में इस दावे के साथ बनाया था कि इसके जरिए लेनदेन का पता लगाना तकरीबन असंभव है.
रिप्पल – दोनों पक्षों की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के दावे के साथ रिप्पल को 2012 में ईजाद किया गया था.
मोनेरो – यह भी सुरक्षित, निजी और खुफिया क्रिप्टो करेंसी है. अप्रैल 2014 में लॉन्च इस वर्चुअल करेंसी को भी लोगों ने हाथों-हाथ लिया था. रिंग सिग्नेचर नामक एक खास तकनीक के जरिये इसके लेन-देन को सुरक्षित और खुफिया बनाने का दावा किया जाता है