गर्मियों का मौसम आते ही मच्छरों का प्रकोप भा काफी बढ़ जाता है। मच्छर कई तरह की गंभीर बीमारी की वजह बनते हैं। मलेरिया (Malaria) इन्हीं गंभीर बीमारियों में से एक है जो गंभीर मामलों मे मौत का कारण भी बन जाती है। इस बीमारी का प्रभाव भले ही कम हुआ है लेकिन पर्यावरण में बदलाव के कारण जहां यह नहीं होता था वहां भी होने लगा है।
मलेरिया (Malaria) से बचाव के उपाय तेजी से हो रहे हैं और इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है। हालांकि, फिर भी तापमान बढ़ने और पर्यावरण में बदलाव आने के कारण अब मलेरिया के मच्छर वहां भी (जैसे-तटीय और हिमालयी क्षेत्रों में) तेजी से पनप रहे हैं, जहां पहले नहीं पाए जाते थे। इसका एक और कारण बढ़ता शहरीकरण और स्लम क्षेत्रों का बढ़ना भी है। इन क्षेत्रों में साफ सफाई की कमी, पानी का जमाव, संकरे घरों में मलेरिया के मच्छरों को पनपने का मौका मिलता है।
इन दिनों पतझड़ का समय है। पत्ते जमा होते हैं, गंदगी बढ़ती है और मलेरिया की बीमारी को निमंत्रण मिलता है। ध्यान दें, कुछ ऐसे कारण भी हैं जिनके बारे में हम ध्यान नहीं दे पाते। जैसे- घरों के अंदर इंडोर प्लांट को अगर आप समय-समय पर बाहर नहीं निकाल कर रखते हैं, तो उससे भी मलेरिया के मच्छरों के पैदा होने का अवसर मिल जाता है। ऐसे में इस बीमारी और इससे बचाव के तरीकों के बारे में जानने के लिए सीमा झा ने नई दिल्ली, एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. हर्षल साल्वे से बात की।
जटिल हो सकती है बीमारी
मलेरिया मादा (एनोफिलिस) मच्छर द्वारा फैलता है। यह गंभीर व कभी-कभी घातक भी हो सकता है। अधिकतर रोगी उपचार के बाद मलेरिया के लक्षणों से जल्दी ठीक हो जाते हैं। पर ध्यान रहे यदि आप उपचार में देरी करते हैं तो गंभीर मलेरिया एनीमिया, सेरेब्रल मलेरिया, कोमा या मृत्यु का कारण भी बन सकता है। बता दें कि प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण अधिक मौतें होती हैं। प्लाज़्मोडियम विवैक्स सभी मलेरिया प्रजातियों में सबसे व्यापक है।
इन लक्षणों पर ध्यान दें
मानव शरीर में प्रवेश हो जाने के बाद एनोफिलिस यकृत यानी लिवर में गुणात्मक रूप से बढ़ते हैं और फिर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द एवं थकान जैसी समस्या होने लगती है।
बचाव के उपाय
- लक्षण महसूस होने पर तुरंत जांच कराना चाहिए।
- मलेरिया की दवाओं को चिकित्सक के परामर्श अनुसार लेना न भूलें। बीच में न छोड़ें।
- मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें।
- सोने वाले कमरे में कीटनाशक का छिड़काव भी कर सकते हैं।
- आसपास पानी का जमाव न होने दें।
- पानी के टबों के ढक्कन बंद रखें।
- कूड़ेदान के प्रयोग की आदत डालें व ढक्कन को खुला न छोड़ें।
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