नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आरोप लगाया कि राज्य में ‘चौंकाने वाली चीजें’ हुई हैं. डकैती की घटना सहित अन्य मामलों को बड़े पैमाने पर सीबीआई को ट्रांसफर किया जा रहा है. राज्य ने कहा, ‘कई मामले सीबीआई को सौंपे गए हैं. कुछ चीजें बहुत चौंकाने वाली हुई हैं. एक मामले में आदमी जीवित है. इस बीच सीबीआई डकैती के मामलों की भी जांच कर रही है. तरह-तरह की बातें हो रही हैं.’

जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि जब भी यह आरोप लगता है कि जांच निष्पक्ष रूप से नहीं हो रही है तो अदालत तथ्यों को ध्यान में रखती है. पहली नजर में निष्कर्ष के बाद ही मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर देती है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि उसे सीबीआई से निष्पक्ष और न्यायसंगत जांच की उम्मीद नहीं है, जो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने में व्यस्त है.
इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए दो-तीन घंटे लगेंगे लेकिन पीठ ने कहा कि समय की कमी के कारण वह आज मामले की सुनवाई नहीं कर पाएगी और अगले सप्ताह इस पर सुनवाई करेगी. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पक्षकारों की सहमति से इस मामले को 28 सितंबर 2021 को पहले नंबर पर सूचीबद्ध किया जाए. पक्षकारों को दूसरे पक्ष को अतिरिक्त दस्तावेज की प्रति देने के बाद इसे 24 सितंबर 2021 तक दाखिल करने की अनुमति दी जाती है.
इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में विधानसभा चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा गठित एक समिति के सदस्यों पर आरोप लगाए थे. राज्य सरकार ने कहा था कि समिति के प्रमुख राजीव जैन ने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार के तहत खुफिया ब्यूरो के निदेशक के रूप में कार्य किया है.
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