राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को कार्यकारिणी के सदस्यों का चुनाव करने का अधिकार दिया गया था।
मुलायम और अखिलेश में सुलह के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि शिवपाल को कार्यकारिणी में जगह देकर अिखिलेश पार्टी में चल रही सुलह की कोशिशों को और परवान चढ़ाएंगे, लेकिन अखिलेश यादव के इस कदम ने सुलह की कोशिशों को तगड़ा झटका दिया है। संभव से इससे शिवपाल और अखिलेश के बीच तल्खी और बढ़ सकती है।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह भी अखिलेश के इस फैसले से खुश नहीं होंगे। पहले भी कई मौकों पर मुलायम अखिलेश के फैसलों पर नाखुशी जाहिर कर चुके हैं।
अखिलेश के करीबी प्रोफेसर राम गोपाल यादव को समाजवादी पार्टी का प्रमुख महासचिव बनाया गया है। किरनमय नन्दा को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।


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