फिल्म की कहानी सेनिटरी नैपकिन आधारित है. ये कहानी एक ऐसे आदमी की है जिसने महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म के बारे में लोगों को सिर्फ जागरूक ही नहीं किया बल्कि उससे होने वाली परेशानियों को भी दूर करने की कोशिश की. अरुणाचलम मुरुगनाथम नाम के इस शख्स ने सस्ते दामों पर औरतों के लिए सैनेटरी पैड बनाने शुरू किए. हालांकि इसके लिए उन्हें समाज का विरोध भी झेलना पड़ा था.