पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मातृभाषा गुजराती देश में लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है। पाकिस्तान में गुजराती का लिखित प्रारूप धीमी मौत के खतरे से जूझ रहा है, जबकि दुनिया भर में पांच करोड़ से अधिक लोग यह भाषा बोलते हैं। पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन’ की एक खबर के अनुसार, ‘हालांकि गुजराती भारत में एक जीवंत भाषा है, लेकिन पाकिस्तान में इसे बोलने वाले लोग अपनी मूल भाषा को लेकर उदासीन हैं।’
पाकिस्तान के नैशनल डेटाबेस एवं रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी ने हाल ही में गुजराती को अपने उस कॉलम से हटा दिया, जिसमें आवेदक से मातृभाषा के बारे में पूछा जाता है। जिन्ना और महात्मा गांधी दोनों गुजरात से थे और गुजराती बोलते थे। पांच करोड़ से ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा गुजराती, दुनिया भर में 26वीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। पाकिस्तान में वे लोग गुजराती बोलते हैं जो बंटवारे के बाद भारत से यहां आए थे। 1947 से पहले पाकिस्तान में बसे कुछ समुदाय जो बंटवारे के बाद भारत नहीं गए, वे अब भी गुजराती बोलते हैं। इस समय देश के बुजुर्ग ही गुजराती बोलते और लिखते हैं जबकि अधिकतर युवा धाराप्रवाह गुजराती भी नहीं बोल सकते।