करीब 56 साल पहले हुई ‘सिंधु जल संधि’ के मुद्दे पर पाकिस्तान ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा है कि संधि का सम्मान होना चाहिए। इसमें किसी तरह का बदलाव या संशोधन वह बर्दाश्त नहीं करेगा।
संधि का हो समाधान
प्रधानमंत्री के विशेष सहयोगी तारिक फातमी ने डॉन न्यूज को बताया कि सिंधु जल संधि के प्रावधानों में बदलाव या किसी तरह के संशोधन को पाकिस्तान स्वीकार नहीं करेगा। हमारी स्थिति संधि में निहित सिद्धांतों पर आधारित है और इस संधि का सम्मान होना चाहिए।
पाकिस्तान का यह बयान तब आया है जब दो दिन पहले भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने सिंधु जल संधि को लेकर विश्व बैंक के फैसले पर संतोष जताया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की आपत्तियों का द्विपक्षीय ढंग से निस्तारण किया जा सकता है।
द्विपक्षीय तरीके से हो समाधान
विकास स्वरूप ने कहा था कि भारत का हमेशा से मानना रहा है कि सिंधु जल संधि के क्रियान्वयन खासकर तकनीकी सवालों एवं मतभेदों का समाधान भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय ढंग से होना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान का कहना है कि भारत ने इस तरह की रणनीति पहले भी अपनाई है, विवाद के समय प्रोजेक्ट पूरा हो गया और अब इसमें संशोधन नहीं किया जा सकता।
पूर्वी नदियां भारत को
समझौते पर 56 साल पहले 1960 में हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके तहत भारत को सिंधु बेसिन के तीन पूर्वी नदियों- व्यास, रावी और सतलुज पर नियंत्रण दिया गया। वहीं, पाकिस्तान को तीनों पश्चिमी नदियों- सिंधु, चिनाब और झेलम दी गईं। सिंधु जल समझौते के तहत स्थायी सिंधु आयोग का गठन हुआ, जिसमें दोनों देशों के कमिश्नर को रखा गया।
इन परियोजनाओं के कारण विवाद
मौजूदा विवाद किशनगंगा (330 मेगावाट) और रातले (850 मेगावाट) पनबिजली परियोजनाओं को लेकर है। भारत किशनगंगा और चिनाब नदियों पर परियोजनाएं बना रहा है, जिसे पाकिस्तान समझौते का उल्लंघन बता रहा है।
पिछले माह जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धमकी दी कि पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोक दिया जाएगा तब तनाव और बढ़ गया। भारत ने विवाद सुलझाने के लिए एक ‘तटस्थ विशेषज्ञ’ को नियुक्त किए जाने की मांग रखी है।
उधर, पाकिस्तान ने विश्व बैंक से कहा है कि वह कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के अध्यक्ष को नियुक्त करे। इस संधि में विश्व बैंक भी एक पक्ष है। संधि में दोनों देशों ने उसे मध्यस्थ माना है।
पाकिस्तान का तर्क
पाकिस्तान का तर्क है कि भारत के दोनों प्रोजेक्ट संधि के कानूनी और तकनीकी प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। हालांकि, भारत पाकिस्तान द्वारा मध्यस्थ नियुक्त किए जाने की कोशिशों का विरोध कर रहा है।
इस हफ्ते की शुरुआत में ही विश्व बैंक ने कहा था कि वह तात्कालिक तौर पर अपनी मध्यस्थता पर विराम लगा रहा है। इसका अगला चरण संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पास अपील करना है।