वैसे तो नियमों के अनुसार सात साल से कम उम्र के बच्चे रोजा नहीं रख सकते पर रायपुर के पांच वर्ष के नन्हे मासूम ने इसबार अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा।
रमजान के पाक महीने के प्रति अपने पैरेंट्स के उत्साह से प्रेरित हो रय्यान ने पहले दिन रोजा रखने का निर्णय लिया। रमजान के सख्त नियमों का पालन करते हुए इस मासूम ने कुरान पढ़ना (‘अरबी की तिलावत’) भी शुरू किया है।
रय्यान के पिता जावेद खान ने कहा, ‘इस्लाम पांच साल के बच्चे को को रोजा रखने की इजाजत नहीं देता क्योंकि उनमें इतनी ताकत नहीं होती लेकिन वह अड़ गया था। जब हमने उसे रोका और बताया कि यह काफी मुश्किल है क्योंकि इस बार रमजान गर्मियों के मौसम में है, हर एक घंटे पर उसे प्यास लगेगी तो रय्यान ने कहा वह पूरे दिन एसी में बैठा रहेगा।‘
कक्षा एक के छात्र रय्यान ने अपनी छुट्टियों के दौरान पहले ही कुरान के ‘कायदा’ (अध्याय) को पूरा कर दिया है। अब वह ‘अरबी की तिलावत’ (अरब में कुरान पढ़ना सीख रहा है) पढ़ रहा है। 4 बजे शाम तक तो बड़ों को भी घंटों भूखे-प्यासे रहने से परेशानी होने लगती, रय्यान ने इसे शाम 6.55 बजे के इफ्तार तक यानि 14 घंटे तक इसे जारी रखा।
पहला रोजा रखने के एवज में रय्यान को इदी के तौर पर पैसे, नये कपड़े और खिलौने मिले। जब उसके पैरेंट्स से यह पूछा गया कि क्या वह इसे आगे जारी रखेगा तो उसके पिता ने कहा हालांकि यह उसके लिए काफी कठिन होगा, रय्यान ने तीसरे से अंत तक रोजा रखने का मन्नत लिया है।