नोटबंदी की मार सबसे ज्यादा वाहन उद्योग पर पड़ी और घरेलू बाजार में वाहनों की बिक्री में सदी की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर माह में स्कूटर की बिक्री में 26.38% गिरावट दर्ज की गई।
वाहन निर्माता कंपनियों के जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में सभी श्रेणी के सभी वाहनों की कुल बिक्री 18.66 प्रतिशत घटकर 12,21,929 इकाई रह गई। दिसंबर 2015 में यह आंकड़ा 15,02,314 इकाई था। यह दिसंबर 2000 के बाद की सबसे तेज गिरावट है। नोटबंदी के कारण पिछले साल नवंबर में भी वाहनों की बिक्री 5.48 प्रतिशत गिरी थी।
– यात्री कारों की बिक्री 8.14 प्रतिशत घटी जो अप्रैल 2014 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है।
– दिसंबर 2015 के 1,72,671 से घटकर 1,58,817 इकाई रह गई।
– कारों, उपयोगी वाहनों तथा वैनों समेत यात्री वाहनों की कुल बिक्री में 1.36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
– अक्टूबर 2014 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। इसमें उपयोगी वाहनों की बिक्री में हालांकि 29.94 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 58,309 इकाई रही।
– दुपहिया वाहनों की बिक्री में अब तक की रिकॉर्ड गिरावट देखी गयी। यह 22.04 प्रतिशत घटकर 9,10,235 इकाई रह गई।
– वर्ष 1997-98 से वाहनों की बिक्री के आंकड़े रखने शुरू किए हैं और तब से इतनी बड़ी गिरावट पहले कभी नहीं देखी गई।
– स्कूटरों की बिक्री में मार्च 2001 के बाद की सबसे बड़ी 26.38 प्रतिशत की गिरावट रही और यह घटकर 2,84,384 इकाई पर आ गई।
– मोटरसाइकिलों की बिक्री भी 22.50 प्रतिशत घटकर 5,61,690 इकाई रह गई जो दिसंबर 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है।
वाणिज्यिक वाहनों का उत्पादन 19.33 प्रतिशत, तिपहिया वाहनों का 43.28 प्रतिशत तथा दुपहिया वाहनों का 25.18 प्रतिशत कम हुआ है।