नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच जिस तरह की तनातनी की खबरें आ रही हैं उससे दुनिया एक और युद्ध के मुहाने पर आकर खड़ी हो गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया और उसके तानाशाह किम जोंग उन को सीधी-सीधी धमकी दी है कि अगर उनके रुख में बदलाव नहीं आया तो उन्हें ऐसा अंजाम भुगतना होगा जैसा दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा होगा. सवाल उठता है कि आखिर अमेरिका को नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से दिक्कत क्या है?
इराक से सद्दाम का तख़्तापलट और सीरिया से असद को हटाने की कोशिश के बाद अब अमेरिका नॉर्थ कोरिया में किम से जंग की तैयारी कर रहा है. सवाल है कि दूसरे देशों में घुसकर लोकतंत्र लागू कराने के लिए आखिर अमेरिका इतनी जद्दोजहद करता क्यों है? क्यों उसे दूसरे देशों की जनता की फिक्र सताती है? हालांकि बहुत से ऐसे देश हैं जहां लोग अभी भी लोकतंत्र के लिए तरस रहे हैं. और उन देशों से अमेरिका की दांत काटी दोस्ती भी है. तो फिर इस मेहरबानी की सच्चाई क्या है?
जमीन के ऊपर से अगर देखेंगे तो लगेगा जैसे अमेरिका मसीहा है, मगर लोग इल्जाम लगाते हैं कि अमेरिका ने जंग जमीन के ऊपर सत्ता बदलने के लिए नहीं, बल्कि जमीन के नीचे छिपे खजाने के लिए लड़ी? हालांकि ये तमाम आरोप ही हैं मगर ये भी सच है कि इराक में पेट्रोल, सीरिया में गैस और नॉर्थ कोरिया में खनिज पदार्थ ऐसा खजाना है जिसपर अमेरिकी की नजर रहती है.
इराक के लिए लिए पेट्रोल, सीरिया के लिए गैस और नॉर्थ कोरिया के लिए खनिज पदार्थ उनकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. अगर उनसे ये ही छीन लिया तो उन्हें सड़क पर आते देर नहीं लगेगी और जो हासिल कर ले उसे रईस होने में देर नहीं लगेगी. सीरिया और इराक से अलग अमेरिका ने फिलहाल अपनी सारी ताकत नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की नकेल कसने में लगा रखी है. अमेरिका आरोप लगाता है कि किम जोंग उन हथियारों के लिए अपनी सनक और अय्याशी के लिए वहां की जनता को भूखा मार रहा है हालांकि नॉर्थ कोरिया उसे सिर्फ और सिर्फ अमेरिकी प्रोपेगैंडा बताता है.
अभी-अभी: पाकिस्तान मेंहुआ बड़ा बम विस्फोट, चारो तरफ बिछी लाशे
फिलहाल हालात ऐसे बन पड़े हैं कि नार्थ कोरिया अमेरिका पर और अमेरिका नॉर्थ कोरिया पर हमले की धमकी दे रहा है. परमाणु जंग की आशंका वाले हालात बन चुके हैं. इतना ही नहीं अमेरिका ने अपना जंगी बेड़ा कोरियाई पेनिनसुला में उतार रखा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ अमेरिका या उसके सहयोगी ही नहीं बल्कि चीन जैसे कई देशों की नजर उत्तर कोरिया की जमीन में खनिज पदार्थों के रूप में दफ्न सोने पर है. कुछ इस सोने को दोस्त बनकर तो कुछ कब्जा कर के हासिल करना चाहते हैं.
गौरतलब है कि ये ऐसे भूमिगत संसाधन हैं जिन्हें अभी छुआ भी नहीं गया है और इन्हें निकालने की सही तकनीक का इस्तेमाल किया गया तो रातोंरात नार्थ कोरिया इतना अमीर हो जाएगा कि कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता. यहां 200 से ज्यादा बेशकीमती खनिज हैं. अगर इन्हें प्रॉपर तरीके से निकाला जाए तो इनकी कीमत होती है करीब 4,760 खरब रुपये. ये इतनी रकम है कि अगर इसे बांटा जाए तो इस धरती पर रहने वाले हर इंसान के खाते में 67 हजार रुपए आएंगे.
जानकार आरोप लगाते हैं कि नॉर्थ कोरिया के बारे में दुनिया सिर्फ उतना ही जानती है जितना अमेरिका बताना चाहता है. इस सच्चाई को हमेशा दुनिया से छिपा कर रखा गया कि उत्तर कोरिया की एक सच्चाई ये भी है, जो रातोंरात उसकी दुनिया बदल सकती है. जाहिर है पैसों और तकनीक की कमी की वजह से किम जोंग उन अपनी ही धरती पर गड़े इस सोने को बाहर निकाल नहीं पा रहा है. मगर उसे अपनी इस ताकत का अहसास है.
किम जोंग उन के हथियार प्रेम की वजह से नॉर्थ कोरिया पहले ही काफी प्रतिबंध झेल रहा है और जंग के हालात में अमेरिका की पहली कोशिश यही है कि वो नॉर्थ कोरिया के आर्थिक जरियों पर नकेल कसे ताकि अब आगे वो और परमाणु या मिसाइल परीक्षण न कर सके. जंग की स्थिति में इस तानाशाह को काबू में किया जा सके.
दूसरी तरफ एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए हमले के बजाए किम जोंग उन को मरवाने की साजिश रच रही है ताकि तानाशाह का खतरा भी न रहे और नॉर्थ कोरिया में कोई ऐसी सरकार बने जो अमेरिकी हितों के लिए माकूल हों. हालांकि ऐसा नहीं कहा जा सकता है अमेरिका सिर्फ अपना हित साधने के लिए उत्तर कोरिया से जंग चाहता है. बल्कि उसकी कोशिश अपने राष्ट्र को किम जोंग उन के परमाणु मिसाइलों से सुरक्षित करने की भी है.