त्याग, तपस्या, समर्पण और संस्कार के प्रतीक मां भगवती का स्तुति पर्व चैत्र नवरात्र इस बार आठ दिनों का होगा। नवमी तिथि का क्षय होने के चलते साधक आठ दिनों में मइया के नौ स्वरूपों की स्तुति करेंगे। 13 अप्रैल को अष्टमी व नवमी तिथि का व्रत एवं पूजन होगा। जबकि व्रत का पारण एवं विसर्जन 14 अप्रैल को होगा।
यह नवरात्र अति कल्याणकारी है
शनिवार के दिन नवरात्र शुरू होने से साधकों के लिए अत्यंत कल्याणकारी माना जा रहा है। भगवती की स्तुति से साधक की हर इच्छाओं की पूर्ति होगी। नवरात्र व्रत व पूजन करने वाले साधकों के अंदर व्याप्त काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार जैसे शत्रुओं का शमन होगा, साथ ही उन्हें वैभव, यश व कीर्ति की प्राप्ति होगी।
ज्योर्विद देवेंद्र ने बताई महत्ता
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि पांच अप्रैल शुक्रवार को दिन में 1.39 बजे प्रतिपदा शुरू होगी जो शनिवार को दिन में 2.26 बजे तक रहेगी। ऐसे में नवरात्र का आरंभ शनिवार से होगा। प्रात:काल घट स्थापित करके दुर्गा सप्तशती का पाठ करके व्रत, पूजन आरंभ होगा। वह बताते हैं कि नवरात्र नौ के बजाय आठ दिनों का रहेगा। अष्टमी तिथि 12 अप्रैल की सुबह 10.17 बजे आरंभ होकर शनिवार की सुबह 8.16 बजे तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। जो 14 अप्रैल को सुबह छह बजे तक रहेगी। सूर्योदय से तीन घटी से कम तिथि का संचरण होने के चलते उसका प्रभाव उस दिन नहीं माना जाएगा।
पूजन सामग्री का जान लें महत्व
-रोली से रक्त विकार दूर।
-अक्षत से धन की वृद्धि।
-लाल फल से प्रसन्नता व प्रतिष्ठा की प्राप्ति।
-अखंड ज्योति जलाने से ज्ञान की वृद्धि।
– लौंग व इलायची से रोग से मुक्ति।
-नारियल से सर्वगुण संपन्नता की प्राप्ति।
-कपूर से आयु में वृद्धि।
-पंचामृत से मनोकामना पूर्ति एवं मिष्ठान अर्पण से आरोग्यता।