टोरंटो: चीन में नयी दो-संतान नीति लागू होने से महिलाओं के स्तर और लैंगिक समानता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. एक ताजा अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि चीन ने अपनी एक-संतान नीति को समाप्त करके सभी परिवारों को दो बच्चे रखने की अनुमति दे दी है, इससे नौ करोड़ और महिलाएं दूसरी संतान रख सकेंगी. शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ महिलाएं अपनी इच्छा के विपरीत दूसरे बच्चे को जन्म देने के लिए दबाव में आ सकती हैं. दरअसल चीन में ऐसे दंपतियों की संख्या बहुतायत में है, जो 2 संतान पैदा करने के पक्ष में नहीं हैं.
कनाडा में यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) के सहायक प्रोफेसर युए कियान ने कहा, ‘‘जब पतियों को विवाहित जीवन में ज्यादा अधिकार होते हैं तो पतियों से महिलाओं पर दूसरे बच्चे को जन्म देने का दबाव हो सकता है.’’ कियान ने कहा कि वहीं दूसरी तरफ विवाहित जीवन में अधिक प्रभाव रखने वाली महिलाएं पतियों के दबाव में दूसरे बच्चे को जन्म देने की अपनी इच्छा को नहीं दबातीं. उन्होंने कहा कि अध्ययन के नतीजों के शहरी चीन में लैंगिक समानता को लेकर दूरगामी परिणाम होंगे क्योंकि लैंगिक अंतराल को पाटने के लिए मातृत्व बड़ी भूमिका निभाता है.
चीन ने 36 साल से चली आ रही ‘एक संतान नीति’ को खत्म करके पिछले साल दिसंबर में आधिकारिक रूप से चीनी दंपतियों को दो बच्चे पैदा करने की मंजूरी दे दी गई थी. सरकार की इस नीति के प्रभावी होने के बाद अब चीनी दंपति दो बच्चे पैदा कर पाएंगे लेकिन इससे अधिक बच्चे पैदा करने पर अभी भी प्रतिबंध है.
अर्थव्यवस्था पर पड़ते दबाव को देखते हुए लाई गई थी ‘एक संतान नीति’
चीन में 1970 के अंत में देश की आबादी एक अरब के आंकड़े को पार कर गई थी और सरकार इससे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता में पड़ गई थी, जिसके बाद चीन के नेता डेंग जियाओपिंग ने 1979 में एक संतान नीति प्रस्तावित की, जिसे अमल में लाया गया था.
चीन में बढ़ रही बुजुर्ग आबादी
चीन में बुजुर्ग आबादी की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसके मुकाबले युवाओं की संख्या में तेजी से कमी आई है. फिलहाल, चीन में 21 करोड़ से अधिक लोगों की उम्र 60 साल से अधिक है और निकट भविष्य में यह आंकड़ा और बढ़ने वाला है. अनुमान लगाया गया है कि यदि देश में यह नीति जारी रहती तो 2050 तक चीन की एक चौथाई से अधिक की आबादी की उम्र 65 साल से अधिक होती.