निर्वाण ने अपने स्थापना दिवस पर आयोजित किया फ्री मानसिक रोग शिविर
लखनऊ। मोबाइल फोन के प्रति बच्चों का बढ़ता लगाव चिंता का विषय बनता जा रहा है। माता-पिता का चाहिये कि वे बच्चों को इंटरनेट का सही उपयोग सिखायें, उन्हें उसकी लत न लगने दें, अगर माता-पिता के समझाने से बच्चे न समझें तो मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक की मदद लें। यह बात कल्याणपुर रिंग रोड लखनऊ स्थित निर्वाण मानसिक रोग अस्पताल के नवनिर्मित परिसर में आयोजित फ्री मानसिक स्वास्थ्य शिविर में अस्पताल के निदेशक डॉ दीप्तांशु अग्रवाल ने कही।
24 जनवरी को निर्वाण के 29 वर्ष पूरे हुए और इस स्थापना दिवस को मनाने के लिए निर्वाण द्वारा मल्हौर स्थित एमिटी विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक विभाग के संयुक्त तत्वावधान में फ्री मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का उद्घाटन लायंस क्लब के वरिष्ठ सदस्य एवं वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट राजीव अग्रवाल द्वारा किया गया।
निर्वाण के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ हरीश अग्रवाल ने इस मौके पर बताया कि निर्वाण के नए परिसर को विगत 30 वर्षों के उनके अनुभवों को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हुए मानसिक एवं नशा रोग से ग्रस्त मरीजों को उच्चीकृत सुविधा-व्यवस्था देने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि मानसिक रोगों में अन्य बीमारियों के जैसे इलाज में देरी करने से मरीज को नुकसान पहुँचता है इसीलिए इस तरह के शिविर लगाने की वजह यही है की जनता को जागरूक किया जा सके और उन्हें योग्य एवं अनुभवी व्यक्तियों द्वारा इलाज के लिए सलाह एवं उपचार उपलब्ध कराया जा सके।
निर्वाण के निदेशक डॉ दीप्तांशु अग्रवाल ने कहा की इस शिविर में आने वाले मरीजों में इन्टरनेट और स्मार्ट फ़ोन एडिक्शन के मरीज भी देखे गए। उन्होंने बताया कि यह एडिक्शन बहुत तेजी से फ़ैल रहा है। डॉ दीप्तांशु ने बताया कि इन्टरनेट का उपयोग आज के दौर की जरूरत है, लेकिन उसकी बहुत आसानी से उपलब्धता की वजह से उसका दुरुपयोग होना शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि इन्टरनेट एडिक्शन से बचने के लिए अभिभावकों को अपने बच्चों को मोबाइल फ़ोन देने के साथ उसके इस्तेमाल के बारे में सलाह देना जरूरी है और समय-समय पर उनके द्वारा अपने बच्चों के फ़ोन के इस्तेमाल का निरीक्षण करना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि समस्या अभिभावकों के समझाने से काबू में न आये तो मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक की सलाह ले लेना चाहिए।
इस शिविर में 25 से ज्यादा मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक एवं अन्य मौजूद रहे जो जिन्होंने सभी लखनऊ वासियों को निशुल्क परामर्श दिया द्य क्वेस्ट डायग्नोस्टिक्स द्वारा इस शिविर में निशुल्क मधुमेह एवं रक्तचाप की जांच की गयी। आईक्यू जांच बौद्धिक एवं व्यक्तित्व परीक्षण मनोवैज्ञानिक समस्याओं की जांच नशा उन्मूलन हेतु सलाह एवं उपचार आदि सेवाएं निशुल्क प्रात 10 बजे से शाम 5 बजे तक दी गईं जिसका लाभ लगभग 300-400 लोगों की भीड़ ने उठाया। शिविर में विशिष्ट अतिथि मिरेकल ड्रग्स के अध्यक्ष मोहम्मद ज़फर खान भी मौजूद रहे।
निर्वाण के निदेशक डॉ प्रांजल अग्रवाल ने कहा कि गुड पेरेंटिंग आज के समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कम से कम एक समय का भोजन परिवार के सभी सदस्य अगर एक साथ लें तो ज़्यादातर मानसिक समस्याएं जैसे स्ट्रेस, एंग्जायटी, डिप्रेशन इत्यादि से काफी हद तक निजात पायी जा सकती है। उन्होंने कहा की आज कल लोग अपने परिवार को समय देने के अलावा हर चीज़ को समय देते हैं जो कि अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि शिविर में आये मरीजों में कई मरीज एडजस्टमेंट प्रोब्लेम्स से ग्रस्त पाए गयेए ऐसे मरीजों में काउंसलिंग का विशेष प्रभाव पाया जाता है।
निर्वाण के इस शिविर में बीएसएम स्कूल ऑफ़ नर्सिंग, चंद्रा डेंटल कॉलेज के नर्सिंग कॉलेज, आदित्य बिरला स्किल्स फाउंडेशन इत्यादि के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया और उनमें भी अपना आईक्यू जानने की होड़ लगी रही। एमिटी विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक विभाग के मनोवैज्ञानिक अन्शुमान दुबे एवं दिव्या बावेजा का इस शिविर के आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान रहा।