राजधानी दिल्ली की सड़कों पर रेंगती और दौड़ती कारों के पीछे लगा एक स्लोगन इन दिनों लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। यह स्लोगन इतना लोकप्रिय हो रहा है कि दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली अधिकतर गाडि़यों में यह चस्पा मिल जाएगा। आइए जानते हैं स्टीकर के अनछुए पहलुओं के बारे में ।
चार पहियों पर सवार मारुति नंदन
जाट ब्वॉय, हारे का सहारा और मॉम्स गिफ्ट को हनुमान स्टीकर ने पीछे छोड़ दिया है। स्टीकर की खास बात है कि नारंगी-सिंदूरी रंग में केवल हनुमान का क्रोधित चेहरा ही नजर आता है। स्टीकर के प्रति दीवानगी ऐसी है कि दिल्ली-एनसीआर में आपको क्रॉस कर आगे जाती हर तीसरी गाड़ी पर यह स्टीकर दिख जाएगा। लोगों ने इसे एंग्र्री हनुमान का नाम दिया है।
कहां से आया स्टीकर
सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि स्टीकर ने कर्नाटक से लेकर राजधानी का सफर बहुत जल्दी तय किया है। सबसे पहले बेंगलुरु की सड़कों पर दौडऩे वाली गाडिय़ों में ही यह स्टीकर नजर आया था। इसके बाद सोशल मीडिया के सहारे यह देव तस्वीर देशभर में फैल गई।
इनसे मिलिए, जिन्होंने बनाया स्टीकर
शांत स्वभाव वाले रामदूत को यह नया लुक देने वाले कलाकार करण आचार्य हैं। पेशे से स्केच आर्टिस्ट करण ने बताया कि यह तस्वीर उन्होंने ध्वज निशान के तौर पर बनाई थी। सितंबर 2016 में गांव में गणेश चतुर्थी के मौके पर एक शोभा यात्रा निकाली जानी थी, जिसके ध्वज के लिए दोस्तों ने कुछ डिजाइन करने को कहा था।
मैं यह पूरी तस्वीर बनाना चाहता था, लेकिन तब सिर्फ चेहरे की ही जरूरत थी। कई दिनों बाद मैंने बेंगलुरू की गाडिय़ों पर स्टीकर के तौर पर इसे देखा। करण उत्तरी केरल के कासरगोड़ जिले में कुंबले गांव के निवासी हैं।
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