दलित संगठनों के आंदोलन को गंभीरता से नहीं लेना पुलिस को भारी पड़ गया। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में दलित प्रदर्शन के दौरान हिंसा रोकने में पुलिस व प्रशासन नाकाम रहे। कई जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। सड़क और रेल मार्ग बुरी तरह प्रभावित हुए। कल तक जो ‘सुपर कॉप’ बदमाशों का एनकाउंटर करके पुलिस का इकबाल कायम होने का दावा कर रहे थे वे सोमवार को बेबस दिखे। नोएडा, मुजफ्फरनगर, मेरठ या सहारनपुर, हर जगह उपद्रवियों ने जमकर बवाल किया।
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभिन्न दलित संगठनों के ‘भारत बंद’ के दौरान प्रदेश के विभिन्न जिलों में हुई घटनाओं का संज्ञान लिया है। उन्होंने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि उपद्रवियों व शरारती तत्वों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
दलित संगठनों ने भारत बंद का एलान कई दिन पहले किया था। वे इसकी तैयारियों में जुटे थे। शासन ने पहले 27 मार्च और फिर एक अप्रैल को जिलों को आगाह किया। उन संगठनों के नाम बताए गए जिनके कार्यकर्ताओं से हिंसा की आशंका थी। वे स्थान भी बताए गए जहां हिंसा की आशंका थी। प्रदर्शनकारियों की संख्या तक बता दी गई।
इसके बाद भी मुजफ्फरनगर, नोएडा, मेरठ और सहारनपुर समेत कई जिलों की पुलिस ने इसे पूरी गंभीरता से नहीं लिया। बंद का ज्यादा प्रचार नहीं हुआ था, मीडिया में इसकी तैयारियों की खबरें नहीं आ रही थीं, लिहाजा इसे हल्के में लिया गया।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिलों में बंद के दौरान निर्दोष लोगों के नुकसान का तेजी से मूल्यांकन कर आकलन रिपोर्ट से शासन को तत्काल अवगत कराने का निर्देश दिया है। वहीं उन्होंने आंदोलनकारियों से अपील की है कि केंद्र सरकार एससी-एसटी एक्ट को लेकर अत्यंत गंभीर है।
उसने सुप्रीम कोर्ट से इस प्रकरण में जल्द सुनवाई का आग्रह किया है। इसलिए धैर्य से काम लें। योगी ने कहा कि राज्य सरकार भी इन वर्गों के उत्थान पर पूरा फोकस कर रही है।
उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे स्थिति को संभालने में अपना योगदान दें। उन्होंने पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे बंद से उत्पन्न स्थिति को फौरन नियंत्रित करें और उपद्रवियों और अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करें। साथ ही जनता को अफवाहों से बचने की अपील की है।
सूत्रों की मानें तो इंटेलीजेंस ने एक रिपोर्ट शासन को एक दिन पहले दी थी। तीन पेज की इस रिपोर्ट को प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने सभी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के ग्रुप में शेयर किया था। सर्वाधिक संवेदनशील जिलों का उल्लेख करते हुए विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए थे। इन सबके बावजूद कई जिलों की पुलिस सोती रही। कई पुलिस कप्तान बतौर एसपी या एसएसपी हाल में एनकाउंटर को लेकर चर्चा में हैं लेकिन जब मौका कानून व्यवस्था से निपटने का आया तो उनकी तैयारियां धरी रह गईं।
मुजफ्फरनगर के एसएसपी अनंत देव एनकाउंटर को लेकर चर्चित रहे लेकिन उनके जिले में खूब उपद्रव हुआ। यहां नई मंडी थाने पर बलवाइयों ने हमला कर दिया और वहां खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी। मेरठ की एसएसपी मंजिल सैनी की पहचान लेडी सिंघम के तौर पर है लेकिन उनके जिले में भी उपद्रवी बेकाबू नजर आए। बाद में अतिरिक्त फोर्स पहुंची तो स्थिति नियंत्रण में आई।
अरविंद कुमार ने बताया कि भारत बंद को लेकर इंटेलीजेंस ने पर्याप्त इनपुट दिया था। इसे तत्काल जिलों के कप्तान और जिलाधिकारियों से साझा किया गया था। कहीं झुंड में तो कहीं दो-दो चार-चार की संख्या में आकर लोगों ने हंगामा किया।
सोमवार को हुई घटना के बाद प्रमुख सचिव गृह ने सभी जोन के एडीजी से बात की और उन्हें फील्ड में निकलने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिद्धार्थनगर के दौरे पर थे। कई जिलों से घटना की सूचना मिलने के बाद उन्होंने प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार और डीजीपी ओम प्रकाश सिंह को उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए। वह लगातार प्रदेश के हालात की जानकारी लेते रहे।
अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम में बदलाव कर इसे निष्प्रभावी बनाने के विरोध में दलित समाज एकजुट हो गया है। सोमवार को विभिन्न संगठनों ने डॉ. आंबेडकर प्रतिमा के समक्ष एकत्र होकर प्रदर्शन किया। इसमें बड़ी संख्या में बसपा कार्यकर्ता और वाल्मीकि समाज के लोग हाथों में झाड़ू लेकर जुलूस की शक्ल में शामिल हुए। अधिनियम को कमजोर करने और दलित समाज को आरक्षण से वंचित करने की कोशिशों के विरोध में सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया गया था। इसके तहत काफी तादाद में दलित समाज के लोग हजरतगंज स्थित आंबेडकर प्रतिमा के समक्ष जुटे।
विभिन्न संगठनों के बैनर तले पहुंचे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों के चलते हजरतगंज चौराहे पर जाम लग गया। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर बड़ी मुश्किल से उन्हें एक ओर किया। सिविल अस्पताल जाने वाली सड़क काफी देर तक बंद रही। प्रदर्शन में काफी संख्या में बसपा कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष डॉ. हरिकृष्ण गौतम की अगुवाई में शामिल हुए।
मिशन सुरक्षा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गंगाराम गौतम ने राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने देश के करोड़ों लोगों की सुरक्षा के लिए बने अधिनियम पर एकतरफा फैसला कर बड़ी आबादी को निराश किया है। भाजपा शासन में संविधान में कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए मिले अधिकारों को न्यायपालिका के जरिये कम किया जा रहा है।
उन्होंने राष्ट्रपति से न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दखल देने की मांग की। भारतीय कोरी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष सुभाष चन्द्र लहरी ने आदेश को द्वेषपूर्ण बताया। एससी,एसटी बैंक इम्प्लाइज यूनियन के प्रदेश सचिव हरी कृष्ण रावत, मूल निवासी संघ के जगत नारायन लोधी की अगुवाई में दलित समाज के लोग भी प्रदर्शन में शामिल हुए।
बाबा साहब आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में भी भारत बंद का असर दिखा। आरक्षण समर्थक छात्रों ने पूरे परिसर में जुलूस निकालकर कक्षाएं बंद कराईं। शिक्षकों व अन्य छात्रों से उनकी तीखी नोकझोंक भी हुई। बाद में उन्होंने आंबेडकर भवन पर सभाकर अपने लिए आरक्षण की मांग उठाई।
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ आंबेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट यूनियन (एयूडीएसयू) के बैनर तले सुबह 11 बजे आरक्षण समर्थक छात्रों ने जुलूस निकाला। एक-एक कर वे सभी विभागों में गए और विद्यार्थियों को कक्षाओं से बाहर कर दिया। इस दौरान विश्वविद्यालय का कोई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद नहीं था।
आरक्षण समर्थकों ने कहा, एक साजिश के तहत उनका हक खत्म किया जा रहा है। कुछ प्रदर्शनकारियों ने स्कूल ऑफ बायो साइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी की एमसीवी गिरा दी। इसे लेकर डीन प्रो. डीआर मोदी से उनकी बहस हुई।