230 तरह की होती है आर्थराइटिस
क्या आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को जॉइंट्स में दर्द रहता है? अगर हां, तो आप ऑर्थराइटिस से पीड़ित हैं। ऐसे में समय रहते सावधानी न बरती जाए तो प्रॉब्लम दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है। सेंट्रल हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार, 2017 तक आर्थराइटिस की चपेट में आने वाली महिलाओं की संख्या दोगुना हो गई है। वहीं, 2019 तक आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों की संख्या डायबीटीज के पेशेंट्स से भी ज्यादा हो जाएगी। डॉक्टरों की मानें तो आर्थराइटिस 230 तरह की होती है लेकिन इसका रूप कोई भी हो, सबसे पहले जॉइंट्स में सूजन आ जाती है। प्रॉब्लम बढ़ने पर चलने-फिरने और हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है। ऐसे में कुछ सावधानियां बरतकर आप इस समस्या से बच सकते हैं…
3 में से 1 महिला को आर्थराइटिस
अगर हाल की रिपोर्ट की मानें, तो भारत में हर 3 में एक महिला आर्थराइट्सि से पीड़ित है। हाल ही में की गई एक रिसर्च के अनुसार, देश में 55 वर्ष से अधिक उम्र के 20 प्रतिशत, 65 वर्ष से अधिक उम्र के 40 प्रतिशत और 80 वर्ष से अधिक उम्र के 60 प्रतिशत लोगों को जोड़ों या घुटनों में दर्द की समस्या आम बात हो गई है। इस बारे में सीनियर ऑथोर्पेडिक व जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ बीरेन नादकर्णी बताते हैं कि आर्थराइटिस एक पेनफुल प्रोसेस है। वैसे तो यह किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 45 साल के बाद लोग इसकी चपेट में जल्दी आते हैं।
15 फीसदी यूथ भी चपेट में
आंकड़ों के मुताबिक, 15 फीसदी यूथ भी इन दिनों इस बीमारी की चपेट में हैं। हालांकि यूथ में यह ज्यादातर किसी ऐक्सीडेंट या जॉइंट्स पेन से उभरती है। अगर सही इलाज न हो, तो ट्रॉमा ऑर्थराइटिस बन जाती है। डॉ बीरेन ने अनुसार, इसकी वजह से चलने में, सीढ़ियां चढ़ने व उतरने में भी काफी दिक्कत होती है। इसका सलूशन केवल एक्सर्साइज ही होता है।
क्यों होती है आर्थराइटिस?
फिजियोथेरपिस्ट डॉ. विजय भास्कर कहते हैं कि आमतौर पर ऑस्टियो आर्थराइटिस फैट की वजह से होती है। बॉडी का एक्स्ट्रा फैट हिप में जमा होता जाता है जिससे हिप और घुटनों के बीच ऐंगल डिवेलप हो जाता है। इससे घुटनों पर बहुत अधिक वेट पड़ने लगता है। ऑर्थोपेडिक सर्जन अजय अग्रवाल कहते हैं, बढ़ती उम्र, मोटापा, खाने पीने का ध्यान न रखने, रेग्युलर रुटीन सही न होने और एक्सर्साइज न करना इसकी खास वजह है। बैलेंस फूड न खाने से बॉडी का मेटाबॉलिज्म प्रोसेस पर असर पड़ता है, जिससे बॉडी में सेल्स नहीं बन पाते और शरीर की तमाम जॉइंट्स में साइनोवियल फ्ल्यूड की कमी आ जाती है।
एक्सर्साइज करें
आर्थराइटिस होने पर फिजिकल फंक्शन आपको दर्द से तो बचाता ही है साथ ही फिट भी रखता है। इन्ही में से एक है- वॉक इसलिए जितना हो सके वॉक करें। यह आपकी हड्डियों को स्ट्रेंथ और फ्लेक्सिबिल बनाता है। ट्रेनर की गाइड से वेट ट्रेनिंग एक्सर्साइज भी कर सकते हैं। ध्यान रखें कि आपको कौन सी एक्सर्साइज करनी है और कौन सी नहीं क्योंकि एक गलत एक्सर्साइज आपके जॉइंट पेन को और बढ़ा सकती है।
हीट बहुत ज्यादा न लें
अक्सर लोग सर्दियों में हीटिंग पैड, हॉट वॉटर बैग वगैरह यूज करते हैं, जो उस समय तो दर्द से राहत देते हैं लेकिन लंबे समय तक स्किन के टच में रहने से वे स्किन को बर्न करने लगते हैं। इसलिए जो भी हीट आइटम यूज करें, उन्हें केवल 15 से 20 मिनट तक ही इस्तेमाल करें।
हेल्दी डायट खाएं
हेल्दी और बैलेंस्ड डायट का सेवन करें। कुछ फूड आइटम्स ऐसे होते हैं जिनमें ओमेगा 3 फैटी ऐसिड बहुत ज्यादा मात्रा में होता है, उनको अवॉइड करें। आप ऐसी चीजें लें, जिनमें विटमिन के, विटमिन सी वगैरह की मात्रा ज्यादा हो।