देश की पहली ग्राम स्तर की मानवाधिकार समिति, महाराष्ट्र के गांव ने की ऐतिहासिक पहल

गांव के सरपंच शरद अरगड़े ने बताया कि मानवाधिकार समिति का गठन राज्य सरकार के निर्देश के अनुरूप है, जिसमें राज्य मानवाधिकार आयोग के ढांचे को ग्रामीण स्तर पर भी विस्तारित करने का फैसला किया गया है। इसके तहत ऐसी समितियां ग्राम स्तर पर गठित करने का निर्देश दिया गया है।

महाराष्ट्र के एक गांव ने ऐतिहासिक पहल करते हुए ग्राम स्तर पर मानवाधिकार समिति का गठन किया है। ऐसा करने वाला यह देश का पहला गांव है। अहिल्यानगर जिले की सौंदला ग्राम सभा ने गांव के स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा और उनके बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए ‘मानवाधिकार संरक्षण समिति’ स्थापित करने का अनूठा कदम उठाया है।

समिति में 11 सदस्य शामिल
14 अगस्त को हुई एक बैठक में ग्राम सभा ने ग्रामीण मानवाधिकार संरक्षण समिति गठित करने का एलान किया। इस समिति में निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाएं, शिक्षक और विकलांग व्यक्तियों सहित कुल 11 सदस्य हैं। गांव के सरपंच शरद अरगड़े ने बताया कि मानवाधिकार समिति का गठन राज्य सरकार के निर्देश के अनुरूप है, जिसमें राज्य मानवाधिकार आयोग के ढांचे को ग्रामीण स्तर पर भी विस्तारित करने का फैसला किया गया है। इसके तहत ऐसी समितियां ग्राम स्तर पर गठित करने का निर्देश दिया गया है।

मानवाधिकार उल्लंघन संबंधी शिकायतों का समाधान करेगी समिति
समिति गांव में मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित शिकायतों का समाधान करने के अलावा, लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करेगी और नागरिकों को कानूनी उपायों के बारे में मार्गदर्शन देने के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग के अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेगी। प्रस्ताव के अनुसार, ग्राम सरपंच अरगड़े समिति के अध्यक्ष होंगे, जबकि ग्राम सेवक प्रतिभा गोरक्षण पिसोटे को सचिव नियुक्त किया गया है।

ग्राम सभाएं प्रत्येक ग्राम पंचायत में जमीनी स्तर की लोकतांत्रिक संस्थाएं हैं जो प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देकर, योजनाओं के स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन में लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करती हैं।

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