नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को फिलीपींस की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए हैं. इस दौरान वह 15वें आसियान और 12वें पूर्वी एशिया सम्मेलन में भाग लेंगे. व्यापार और संपर्क बढ़ाना मोदी की मुख्य प्राथमिकताओं में शामिल है. मोदी का यह पहला आधिकारिक फिलीपींस दौरा होगा. इस दौरे पर मोदी दुनिया के दूसरे नेताओं से मिलेंगे, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन शामिल हैं. यह सभी नेता पूर्वी एशिया सम्मेलन में भाग ले रहे हैं.

विदेश मंत्रालय में (पूर्व) की सचिव प्रीति सरन ने मीडिया को बताया, “मोदी 15वें आसियान-भारत शिखर बैठक और 12वें ईस्ट एशिया शिखर बैठक में भाग लेने के लिए वहां जा रहे हैं.” इसके साथ भारत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के स्तर पर एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियाई राष्ट्रों (आसियान) के सभी 10 सदस्यों के साथ पिछले तीन वर्षों में पहली बार वार्ता करेगा.
आसियान में शामिल 10 सदस्य देश हैं-ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम. सरन ने कहा, “यह दिखाता है कि भारत आसियान के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है. यह विशेष रूप से आसियान सदस्य देशों के साथ संबंधों को गहरा करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है और साथ ही इंडो-प्रशांत क्षेत्र हमारे अधिनियम पूर्व नीति के ढांचे का हिस्सा है.”
दोनों देश मिलकर कृषि में करेंगे उन्नत विकास
इससे पहले 10 नवंबर को भारतीय मंत्रिमंडल ने फिलीपींस के साथ कृषि क्षेत्र में सहयोग के करार पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की. एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह सहमति पत्र कृषि के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग की स्थति में सुधार लायेगा और दोनों देशों के लिए परस्पर लाभकारी होगा. समझौते के तहत धान उत्पादन एवं प्रसंस्करण, बहु फसल प्रणाली, शुष्क भूमि खेती प्रणाली, बायो.आर्गेनिक खेती, ठोस तरल संरक्षण एवं प्रबंधन, मृदा उर्वरता, रेशमकीट पालन, कृषि वानिकी, मवेशियों में सुधार के अलावा कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग की बात है.
बयान में कहा गया है कि दोनों देशों में शिनाख्त किये गये कायक्षेत्र को लागू करने के लिए एक साझा कार्यदल की स्थापना की जायेगी. यह दल हर दो वर्ष में मिलेगा. एक बार इसकी बैठक भारत में और अगली बार फिलीपींस में होगी. इसमें कहा गया है कि यह द्विपक्षीय सहयोग दोनों देशों में खेती के बेहतरीन कामकाज की समझदारी को प्रोत्साहित करेगा और उच्च उत्पादकता को हासिल करने के साथ साथ वैश्विक बाजार तक पहुंच को सुधारने में मदद करेगा.
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