24 घंटे बिजली का वादा भले अब तक पूरा नहीं हुआ हे, पर झारखंड के लोगों को बढ़ी बबिजी दर का झटका लगा सकता है. बिजली वितरण निगम ने राज्य ऊर्जा नियामक आयोग को बिजली की टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. जिसके अनुसार अब उपभोक्ताओं को बिजली का डेढ गुना ज्यादा दर चुकाना होगा.
क्या है मामला
झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग की राज्य सलाहकार समिति की सोमवार को हुई बैठक के दौरान वितरण निगम के एमडी राहुल पुरवार ने राजस्व जुटाने और बिजली घाटा कम करने के लिए जोरदार सिफारिश की.बिजली वितरण निगम ने राज्य ऊर्जा नियामक आयोग को बिजली की टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. जिसके अनुसार अब उपभोक्ताओं को बिजली का डेढ गुना ज्यादा दर चुकाना होगा. इसके अलावा मासिक शुल्क में बढोत्तरी और ग्रामीण क्षेत्रों में दी जा रही रियायत को भी कम करने का प्रस्ताव है.
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इतना बढ़ेगा जेब पर बोझ
उर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए टैरिफ निर्धारण जरूरी
झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने आयोग को कहा कि पिछली बार 11 प्रतिशत दर बढ़ोत्तरी की मंजूरी दी गयी थी. जबकि 2012-13 में ही उत्तर प्रदेश में 17 प्रतिशत, उडि़सा में 13, छत्तीसगढ़ में 17.15 और बिहार में अभी हाल में दरों में भारी बढ़ोत्तरी की है. निगम ने कहा कि राज्य में 62 प्रतिशत घरेलु कन्जयूमर हैं, वर्ष 2019 तक 100 फीसदी घरों का विद्युतीकरण किया जाना है, जिसके लिए बड़ी पूंजी की आवश्यक्ता है.
एटीएंडसी लॉस कम करने पर चर्चा
आयोग के समक्ष निगम ने एटीएंडसी लॉस कम करने पर व्यापक चर्चा की. दो वर्ष पहले एटीएंडसी लॉस 42 प्रतिशत था जो 12 प्रतिशत तक कम होकर आज 30 प्रतिशत तक जा पहुंचा है, आने वाले समय में इसें और नीचे ले जाने के प्रयास किए जायेंगे.
14 हजार करोड़ राजस्व जुटाने का लक्ष्य
बिजली कंपनियों को 14 हजार करोड़ रुपए राजस्व की जरूरत है. विभाग ने हर घर में निर्बाध बिजली पहुंचाने और वित्तीय वर्ष 20-21 तक के लिए उपरी तौर पर राजस्व जुटाने का लक्ष्य झारखंड सरकार की ओर से रखा है. टैरिफ पॉलिसी 2017 के दौरान चर्चा में बताया गया कि 16-17 के दौरान उदय योजना के लिए सरकार ने 4 हजार करोड़ के प्रावधान किए जबकि इसके लिए मोटे तौर पर इससे कहीं ज्यादा रकम चाहिए.
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