जेल में बंद स्वयंभू बाबा रामपाल के दो अनुयायियों की सोमवार (18 सितंबर) को बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में स्थित उसके आश्रम में सेप्टिक टैंक की सफाई करते वक्त मौत हो गई जबकि एक अन्य व्यक्ति घायल हो गया। पुलिस ने लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि घटनाओं के क्रम का पता लगाया जाएगा और आश्रम की कथित लापरवाही की जांच की जाएगी। उस आश्रम में फिलहाल 200 समर्थक रह रहे हैं।
वे सब वहां चल रही कैंटीन में खाना बनाते हैं और भक्ति करते हैं। घटना सोमवार शाम की है। अमरजीत (30) और माखन लाल (27) 90 फुट गहरे टैंक में सफाई करने उतरे थे जहां जहरीली गैसों के संपर्क में आए। उन्हें बचाने उतरा मुकेश (25) भी बेहोश हो गया। पुलिस ने बताया कि तीनों को अस्पताल ले जाया गया जहां दो लोगों को मृत घोषित कर दिया गया जबकि मुकेश का उपचार चल रहा है और वह अभी भी होश में नहीं आया है। तीनों को निकालने की कोशिश में कुछ और लोग भी घायल हुए हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, टैंक में पानी नहीं था बस कुछ गंदगी थी जिसको सफाई करने के लिए वे लोग उसमें उतरे थे। रामपाल फिलहाल जेल में है। उसे 2014 में गिरफ्तार किया गया था। 67 साल के रामपाल पर मर्डर का भी एक केस चल रहा है। उस केस में रामपाल पर मर्डर की साजिश का आरोप है। 2014 में हत्या वाले मामले में रामपाल को 43 बार कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा जा चुका था लेकिन वह नहीं आया। इसके बाद उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस हिसार के बरवाला वाले आश्रम पहुंची थी। वह जगह चंडीगढ़ से 200 किलोमीटर दूर है। वहां बाबा के 15,000 समर्थक मौजूद थे जिन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया। पुलिस अंदर नहीं जा पा रही थी।
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लगभग दो हफ्ते तक बड़े से गेट से बंद आश्रम के पीछे लोग छिपे रहे। फिर पुलिस ने वहां बिजली और पानी की सप्लाई काट दी। उसके बाद जब खाना खत्म होने लगा तब लोग धीरे-धीरे बाहर आने लगे। कई लोगों का तो कहना था कि उनको अंदर कैद कर लिया गया था और मानव ढाल की तरह इस्तेमाल किया गया था। पूरी घटना में 200 लोग जख्मी हुए थे। छह लोग मारे गए थे। जिसमें पांच महिलाएं और एक बच्चा भी शामिल था। रामपाल के समर्थकों ने अंदर से पुलिस पर गोलियां, पत्थर सब चलाए थे। पेट्रोल बम और एसिड बम भी फेंके गए थे।