जिन राज्यों में बर्ड फ्लू अभी नहीं पहुंचा है वहां भी सतर्कता बहुत जरूरी है : PM मोदी

बर्ड फ्लू की स्थिति को लेकर पीएम ने कहा कि नौ राज्यों में (केरल, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र) में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। उन्होंने कहा कि पशुपालन मंत्रालय ने इस संकट को लेकर कार्ययोजना बनाई है, जिसका पालन जरूरी है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी राज्यों और स्थानीय प्रशासन से मेरा आग्रह है कि सतर्कता और निगरानी बनाए रखें। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में बर्ड फ्लू अभी नहीं पहुंचा है वहां भी सतर्कता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस संकट में भी अफवाहों पर लगाम लगी रहे यह बहुत आवश्यक है।

लंबे समय से पूरी दुनिया के लिए संकट का सबब बनी कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ देश में 16 जनवरी से शुरू हो रहे टीकाकरण अभियान को लेकर तैयारियां लगातार जारी हैं। इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की। 

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी देश ने विभिन्न राज्यों में कोरोना वायरस महामारी की स्थिति पर चर्चा की और टीकाकरण को लेकर उनकी तैयारियों का जायजा लिया। बता दें कि भारत के औषधि नियामक ने दो वैक्सीनों (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) को आपात उपयोग की अनुमति दी है। 

उन्होंने कहा कि देश के औषधि नियामक की ओर से जिन दो कोरोना वायरस वैक्सीनों को आपात उपयोग की अनुमति दी गई है वो दोनों ‘मेड इन इंडिया’ हैं। उन्होंने कहा कि चार और वैक्सीन पर भी काम चल रहा है। जब और वैक्सीन आ जाएंगी तो भविष्य की तैयारी के लिए काफी सुविधा होगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि वैक्सीन के संबंध में अफवाहों को कोई हवा न मिले। ‘इफ’ और ‘बट’ पर कोई बात नहीं होनी चाहिए। कई शरारती तत्व इस अभियान में अड़ंगा लगाने का काम कर सकते हैं। ऐसी हर कोशिश को देश के हर नागरिक तक सही जानकारी पहुंचाकर नाकाम करना है।

उन्होंने कहा कि हमारी दोनों वैक्सीन दुनिया की बाकी सभी वैक्सीनों की तुलना में ज्यादा ‘कॉस्ट इफेक्टिव’ हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे संकट के दौर में कोरोना वायरस की वैक्सीनों के लिए हमें दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता तो देश की क्या स्थिति होती इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश वासियों को सुरक्षित वैक्सीन देने के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने सभी सावधानियां बरती हैं। हमने पहले ही कह दिया था कि इस विषय में जो भी निर्णय होगा वह वैज्ञानिक समुदाय का होगा। उन्होंने कहा कि अभियान का 60 फीसदी काम होने के बाद फिर समीक्षा की जाएगी।

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