हर महिला की सपना होता है की वह शादी के बाद बने पर जानेअनजाने वह प्रसव के दर्द को ले कर चिंतित रहती हैं जबकि आज विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है कि प्रसव से कतई नहीं घबराना चाहिए।
1 दर्दरहित प्रसव क्या है प्रसव की प्रथम अवस्था हलके दर्द से प्रारंभ होती है। इस अवस्था में गर्भाशय का मुंह धीरे धीरे खुलता है। करीब 10 सेंटीमीटर मुंह खुलता है। तभी शिशु को बाहर निकलने का मार्ग मिलता है। प्रथम प्रसव में करीब 12 से 16 घंटे और द्वितीय प्रसव में 8 से 12 घंटे लगते हैं। इस दौरान होने वाला दर्द गर्भाशय की मांसपेशियों में होने वाले संकुचन के कारण होता है। जब गर्भाशय का मुंह पूरा खुल जाता है तब शिशु नीचे सरकना प्रारंभ करता है।
2 यह प्रसव की द्वितीय अवस्था है। ये दोनों अवस्थाएं अत्यंत कष्टकारी हैं। कई ग्रामीण, कम पढीलिखी, मेहनतमजदूरी करने वाली मजबूत महिलाएंयह दर्द आसानी से सहन कर लेती हैं। परंतु शहरी, पढीलिखी, नाजुक महिलाएं कई बार यह दर्द सहन नहीं कर पातीुं और जिद कर के आपरेशन द्वारा प्रसव कराने के लिए चिकित्सक को मजबूर करने लग जाती हैं।
3 दर्द से छुटकारा दर्द निवारक और दर्दनाशक व इंजेक्शन पेथिडिन, डायजापाम, केटमिन, फोर्टविन आदि इंजेक्शन दर्द को कम करते हैं। इन से थोडी नींद भी आती है पर इन से कभीकभी शिशु को पहुंचने वाली आक्सीजन की मात्रा कम होने की आशंका रहती है। अतएव प्रसव काल में चिकित्स और नसिंग स्टाफ आदि को बहुत सावधान रहना
4 दर्दनाशक सूंघने की दवाई इन्हेलेशन एनाजीसिया इसमें आक्सीजन और नाइट्स आक्साइड हंसाने वाली गैस या लाफिंग गैस गका मिश्रण प्रसूता को सुंघाया जाता है।
5 इससे एंटोनाक्स अपरेटस कहते हैं। इस का मास्क प्रसूता स्वयं ही नाक पर रख कर जब दर्द हो जब सूंघ सकती है। इससे से यह लाभ होता है कि शिशु पर कुप्रभाव नहीं पडता और प्रसव की सही प्रोगेस होती रहती है।