आपको जानकर हैरानी होगी कि काफी लोग स्पर्म यानी शुक्राणु और सीमन यानी वीर्य को एक ही समझ लेते हैं। किन्तु वास्तविकता ये है कि ये दोनों अलग-अलग हैं और सीमन के भीतर स्पर्म होता है। इसके अलावा स्पर्म और सीमन के बीच कई और अंतर भी हैं, जिसके बारें में शायद आप नहीं जानते हो। तो आइए आज आपको बताते हैं इस अंतर के बारे में :-

शुक्राणु एक तरह का माइक्रोस्कोपिक सेल यानी कोशिका होती है जो वीर्य का हिस्सा है। स्पर्म का मुख्य काम होता है महिला के शरीर के भीतर स्थित एग्स को फर्टिलाइज करना। वहां तक उसे जो बॉडी फ्लूइड पहुंचाता है उसे सीमन या वीर्य कहा जाता है और सीमन का उत्पादन विभिन्न मेल सेक्स ऑर्गन्स करते हैं। सरल शब्दों में समझें तो पेनिस से बाहर निकलने वाला वाइटिश कलर का लिक्विड सीमन है, जबकी इस फ्लूइड के भीतर मौजूद रहने वाले हजारों लाखों सेल्स को शुक्राणु कहते हैं।
स्पर्म में विटमिन बी12, विटमिन सी, कैल्शियम, ऐसॉर्बिक ऐसिड, लैक्टिक ऐसिड, फ्रक्टोज, जिंक, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फैट, सोडियम और कई प्रकार के प्रोटीन मौजूद होते हैं। किन्तु ये सभी तरह के न्यूट्रिएंट्स काफी कम मात्रा में होते हैं। प्री-इजैक्युलेशन फ्लूइड जिसे प्रीकम भी कहा जाता है, वह सीमन से भिन्न होता है क्योंकि उसमें न के बराबर स्पर्म होते हैं। अधिकतर अध्ययन में यह बात सामने आई है कि प्रीकम में स्पर्म न के बराबर होता है जिससे प्रेग्नेंसी आशंका काफी कम होती है। प्रीकम, नैचरल लुब्रिकेंट का काम करता है।
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