महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग बहुत विशाल है और चाँदी जड़ा हुआ है. गर्भ गृह की छत पर भी चाँदी चढ़ाई हुई है. माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय की छोटी मूर्ति भी गर्भ गृह में है.यहाँ नन्द दीप नाम से एक दीप भी प्रज्ज्वलित रहता है जो कि कभी नहीं बुझता है.
कहते है उज्जैन शहर में एक ब्राह्मण रहता था उसके 4 बेटे थे. ये चारों भगवान शिव के परम भक्त थे. राक्षस दूषण को ब्रह्मा से वरदान मिला था लेकिन वो इस वरदान को दुनिया के अच्छे लोगों को सताने में काम लेता था. वह राक्षस उज्जैन पहुंचा और ब्राह्मणों को परेशान करना शुरू कर दिया. लेकिन वे पूजा में इतने लीन थे कि उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. लेकिन वो लगातार परेशान करता रहा और उन पर आक्रमण करता रहा.
इससे भगवान शिव नाराज हो गए. जब उसने फिर से उन पर हमला किया तो धरती फटी और महाकाल के रूप में भगवान शिव प्रकट हुए. भगवान महाकाल ने उसे ये सब करने के लिए मना किया, लेकिन उसने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया.
इससे भगवान महाकाल रुष्ट हो गए और वहीं दूषण को एक हुंकार के साथ भष्म कर दिया. लेकिन भगवान महाकाल का गुस्सा तब भी शांत नहीं हुआ. भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु और अन्य देवता भी प्रकट हुए और उन्होंने भगवान शिव से महाकाल को शांत करने की प्रार्थना की.