पटना: कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है पीता है. आज यह कहावत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ठीक बैठती प्रतीत हो रही है. पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की केंद्रीय विश्वविद्यालय घोषित करने की मांग को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खारिज कर दिया उसके बाद मोकामा की सभा में लगता था कि नीतीश अपनी गलतियों से सीख ले चुके थे इसलिए उन्होंने अपने भाषण में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से कई मांगें कीं, जिसमें भागलपुर में विक्रमशिला सेतु के सामानांतर एक और नए ब्रिज के अलावा बक्सर से वाराणसी को जोड़ने के लिए राजमार्ग का निर्माण प्रमुख है. फिर नीतीश कुमार ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से कहा कि आपसे प्रार्थना है कि दिल्ली से गाजीपुर एक्सप्रेस हाइवे को बक्सर से जोड़ने के लिए एक और सेतु के निर्माण की मांग की. 
इसके बाद गंगा नदी की अविरलता और निर्मलता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें ये इंतजाम करना होगा कि जो सीवरेज का पानी का ट्रीटमेंट किया जाए उसे वापस नदी में नहीं डालकर सिंचाई के काम में लाया जाए. नीतीश ने नदियों में जमे गाद की समस्या का हल ढूंढने की भी बात की.
अपनी बातें आगे रखने के बाद नीतीश ने नितिन गडकरी की चर्चा करते हुए कहा कि वो उन्हें बहुत करीब से जानते हैं और वह ‘न’ शब्द नहीं जानते हैं. उसके बाद नीतीश ने उम्मीद जताई कि हम लोगों मांग पर वह ‘ हां ‘ कह देंगे. निश्चित रूप से कुछ घंटे पहले पटना विश्व विद्यालय में उनकी मांग के साथ जो कुछ सार्वजनिक रूप से हुआ था उसके बाद नीतीश कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे.
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हालांकि प्रधानमंत्री मंच पर मौजूद थे इसलिए भाषण के अंत में नीतीश ने कहा कि जो गठबंधन बना है उससे लोगों को भारी अपेक्षा है और गठबंधन बना है इसलिए लोगों को उम्मीद है कि न्याय के साथ विकास होगा, लेकिन शायद नीतीश ये बातें कहकर प्रधानमंत्री को याद दिला रहे थे कि अगर आपने केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग मान ली होती तो बिहारियों के मन में आपके प्रति निराशा का भाव नहीं होता.
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