चीन के प्रधानमंत्री ली कछ्यांग पिछले सप्ताह तीन दिनों तक तिब्बत के दौरे पर रहे। उस समय चीन सरकार ने उनकी यात्रा को गुप्त रखा। दौरा खत्म होने के दो दिन बाद रविवार को इसकी जानकारी आधिकारिक रूप से सार्वजनिक की गई। एफे समाचार एजेंसी ने शिन्हुआ के हवाले से बताया कि प्रधानमंत्री ली 25-27 जुलाई तक तिब्बत में थे। इस दौरान उन्होंने राजधानी ल्हासा, यारलुंग जांगबो (ब्रह्मापुत्र नदी) और नायिंगची व शानन नगरों का दौरा किया।
ली ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तिब्बत विकास और समृद्धि हासिल करेगा, राष्ट्रीय एकता की रक्षा करेगा और विभिन्न जातीय समूहों के बीच एकता को बढ़ावा देगा। प्रधानमंत्री ली ल्हासा में दलाई लामा के परंपरागत आवास पोटाला महल भी गए। उन्होंने कहा कि सरकार सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने के साथ-साथ उसे बढ़ावा देगी। उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार संगठन और तिब्बत से निर्वासित लोग चीन सरकार पर तिब्बत में धार्मिक और सांस्कृतिक दमन का आरोप लगाते रहे हैं।
ली ल्हासा स्थित जोखंग मोनेस्ट्री भी गए। इसे तिब्बत के सबसे पवित्र स्थलों में एक माना जाता है। इस साल यहां आग लग गई थी, मगर अधिकारियों द्वारा तिब्बत से संबंधित खबरों पर लगाए गए प्रतिबंध के कारण नुकसान का पता नहीं चल पाया था। चीनी प्रधानमंत्री का दौरा नायिंगची से शुरू हुआ था। वहां उन्होंने सरकार के समर्थन से चलाई जा रही गरीबी उन्मूलन योजनाओं का जायजा लिया। वहां के निवासियों और नेताओं से बातचीत के दौरान ली ने लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए सतत विकास पर जोर दिया।