अखबार के लेख में दावा किया गया है कि बीजिंग और नई दिल्ली के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाले तीन विवाद हैं, पहला सीमा विवाद, दूसरा तिब्बत मामला और तीसरा चीन पाक संबंधों को लेकर भारत का पागलपन।
लेख के अनुसार इस बात की संभावना भी नहीं है कि निकट भविष्य में इन तीनों मुद्दों का ही कोई समाधान निकाला जा सके। ऐसे में भारत चीन के संबंधों को गति देने का नियंत्रण और प्रबंधन ही एकमात्र तरीका है। अखबार में दावा किया गया है कि जिस तरह ओबीआर के मुद्दे पर भारत की मानसिकता बनी हुई है उसे जल्दी से बदला नहीं जा सकता।
जबकि भारत शुरू से ही ओबीओआर को अपनी संप्रभुत्ता के लिए खतरा बताते हुए इसका विरोध करता रहा है। जबकि चीन भारत के विरोध को दरकिनार कर लगातार उसके पडोसियों को इस योजना से जोड़ता जा रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो चीन ओबीओआर के बहाने एक तरह से भारत के चारों ओर अपना जाल फैलाता जा रहा है। जिसका नुकसान भविष्य में भारत को उठना पड़ सकता है।