कानपुर एनकाउंटर में उत्तर प्रदेश पुलिस के 8 जवान शहीद हो गए. कुख्यात बदमाश विकास दुबे और उसके गैंग ने मुठभेड़ में पुलिसवालों को मार गिराया और वहां से फरार हो गए.
घटना को इतने दिन हो चुके हैं और विकास दुबे अब तक फरार है. राज्य के सबसे बड़े गैंगस्टर का कोई अता-पता नहीं है.
पुलिस ने उसे ढूंढने के लिए नेपाल से लेकर चंबल तक नजरें टिका रखी हैं. इस बीच विकास दुबे के घर के बगल में बने कुएं से भी गुनाहों के सबूत तलाशे जा रहे हैं.
वहीं कानपुर के बिकरू गांव में चश्मदीद महिला मनु ने बताया कि विकास के गुर्गों ने किस तरह उस रात को खूनी तांडव मचाया.
मनु ने बताया कि कुछ लोग मुंह बांधे हुए थे और उन्होंने ही गोली मारी. महिला ने बताया कि जैसे ही गोलियां चलनी शुरू हुईं, उसके बच्चे चीखने लगे. पूरा माहौल दहशत से भर गया था.
बता दें कि एनकाउंटर के दौरान मौके पर पहुंची पुलिस वाले कुछ समझ पाते, कई पुलिसकर्मी जान गंवा चुके थे. जो किसी तरह बचने की कोशिश में आसपास के मकानों की तरफ़ भागे बदमाशों ने घर में घुसकर उनको गोली मारी.
कई पुलिसवाले ऐसे थे, जिनको बंदूक़ सटाकर गोली मारी गई. टीम की अगुवाई कर रहे सीओ को बदमाशों ने घर के भीतर घेरकर धारदार हथियार से पैर पर वार किया और फिर बाद में सिर से सटाकर गोली मारी गई.
गांव के कई घरों में सिर्फ खून ही खून फैला है. दीवारों पर बने गोलियों के निशान और मौका-ए-वारदात के हालात बताते हैं कि बदमाशों ने हर हाल में पुलिस वालों को जान से मारने के लिये ही फायरिंग की.
अब तक की जानकारी के मुताबिक पुलिस की करीब 22 लोगों की टीम जब सीओ के नेतृत्व में विकास दुबे के घर पहुंची तो रात के करीब 12 बज रहे थे.
हत्याओं का ये खूनी तांडव करीब एक घंटे तक चला. 1 बजकर 20 मिनट पर पुलिस की दूसरी टीम जब गांव पहुंची तो आठ पुलिसवालों की जान मौके पर ही जा चुकी थी.