उत्तरी पश्चिम बंगाल की पहाड़ियों में शनिवार को गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के समर्थकों के साथ हुई झड़प में 36 पुलिसकर्मी गंभीर रुप से घायल हो गए हैं। जिनमें से 20 पुलिसकर्मी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एडीजी अनुज शर्मा ने बताया की जीजेएम के समर्थकों ने पुलिसबल और जवानों पर कांच की बोतलों और पत्थरों से हमला किया गया। जिसके जवाब में पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
बता दें कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पृथक राज्य की मांग को लेकर 6 दिनों से अनिश्चितकालीन बंद पर है। उन्होंने बताया कि पूरे इलाके में निषेधाज्ञा लागू है और जूलूस निकालने की अनुमति किसी को भी नहीं दी गई है। जीजेएम समर्थकों ने आदेशों का उल्लंघन किया और जुलूस निकाला। जब पुलिस ने उन्हें रोका तो प्रदर्शनकारियों ने उन पर पत्थर तथा बोतलें फेंकीं। पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। इसी बीच जीजेएम ने दावा किया कि पुलिस गोलीबारी में उसके दो समर्थकों की मौत हो गई और पांच गंभीर रूप से घायल हो गए। जीजेएम के सहायक महासचिव बिनय तमांग ने कहा, “दो लोगों की मौत हो गई है और पांच गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हम अपने लोगों की तलाश कर रहे हैं।”
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की बात से इंकार किया है। एडीजी (कानून-व्यवस्था) अनुज शर्मा ने कहा, “पुलिस ने गोलीबारी नहीं की। जीजेएम ने हमारे वाहनों में आग लगाई है। हम घटना की जांच कर रहे हैं।” जीजेएम द्वारा उत्तरी बंगाल की पहाड़ियों में आहूत बंद का शनिवार को छठा दिन है, जब क्षेत्र में हिंसा और प्रदर्शनों की ताजा घटनाएं हुई हैं। इससे पहले जीजेएम के तमांग ने दावा किया कि पुलिस ने उनके घर पर छापेमारी और तोड़फोड़ की।
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा(जीजेएम) द्वारा की जा रही तोड़-फोड़ की निंदा की और राज्य के उत्तरी पहाड़ी इलाके में हो रही हिंसा को गहरी साजिश करार दिया। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह एक गहरी साजिश है। इतने सारे हथियार और लड़ाई के सामान अकेले एक दिन में नहीं आ सकते। यहां एक अंतर्राष्ट्रीय और राज्य की सीमा है। वे संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं। वे केवल बम फेंक रहे हैं। वे गैरकानूनी तरीके से हथियारों और बमों को एकत्र कर रहे हैं।” बनर्जी ने आरोप लगाया कि जीजेएम का पूर्वोत्तर राज्यों के आतंकी समूहों से संबंध है। उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया है कि पूर्वोत्तर भारत के भूमिगत उग्रवादियों के साथ उनका संबंध है। मैंने अनुरोध किया है कि उन्हें दार्जिलिंग में किसी तरह की कोई मदद नहीं करनी चाहिए।”