गौंडर की मां का रो-रोकर बुरा हाल था। गौंडर की मां ने रोते-रोते बस इतना ही कहा ‘पुत मरिया मेरा दुख तां हुंदै मरे दा, पर सानू पता सी आह कम्म तां होणा ही सी। जदों ओहदे कम्म इ ऐदां दे सी। (बेटा मेरा है मेरा। मरने वाले का दुख तो होता ही है, लेकिन हमें पता था कि यह तो होना ही था। उसके काम ही इस तरह के थे।)
वहीं गौंडर की छोटी बहन सरबी ने पुलिस पर धक्केशाही का आरोप लगाया। पुलिस उसे पकड़ सकती थी लेकिन जानबूझ कर उसकी हत्या की गई। पिता महिल सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बेटे की हत्या की कोई सूचना नहीं दी। सोशल मीडिया से उन्हें सवा छह बजे मौत की खबर मिल चुकी थी। रात सात बजे ही पुलिस ने गांव आ गई और घर को घेर लिया।
आठवीं में पढ़ते समय चला गया था ननिहाल
गौंडर जब आठवीं में पढ़ता था उसी समय वह जालंधर के पास अपने ननिहाल चला गया था। वहीं रहकर उसने पढ़ाई की और वह हैमर थ्रो नेशनल चैंपियन बना। जमा दो की पढ़ाई करने वाला विक्की गौंडर जालंधर में ही एक फाइनांस के लिए कलेक्शन का काम करने लगा। वहीं उसके साथ सुक्खा काहलवां भी था। वहीं उन दोनों का झगड़ा हुआ था। करीब छह साल पहले गौंडर ने पहली हत्या की जिसके बाद वह पुलिस रिकॉर्ड में भगोड़ा हो गया।
डेढ़ साल से न घर आया न किसी से बात की
अपराध की दुनिया में जाने के बाद से गौंडर दो-दो साल बाद ही गांव आता था लेकिन फोन पर परिवार से बात करता रहता था। नाभा जेल ब्रेक के बाद से वह न तो कभी गांव सरावा बोदला आया और न परिवार में कभी किसी को फोन किया। जब गौंडर कहीं कोई अपराध करता था तो पुलिस उसके परिवार के सदस्यों को हिरासत में ले लेती थी। परिवार के सदस्यों को हफ्ता भर हवालात में रखा जाता था।