इस पर पीड़ित महिला ने कहा की ‘वह नहीं समझ पा रही है कि इसमें क्या लिखा है जब सोशल वर्कर तन्मय और कल्याणी उन्हें पढ़ कर सुनाएंगी तब ही वह दस्तखत करेंगी.’ इस पर मजिस्ट्रेट और पीड़ित महिला के बीच बहस हो गई.
मजिस्ट्रेट का यह है आरोप
दूसरी ओर मजिस्ट्रेट का आरोप है कि ‘महिला ने उनके स्टाफ से बदतमीजी की और कानून कि प्रक्रिया में बांधा डाला. इसलिए पीड़ित महिला, तन्मय और कल्याणी तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया.’
मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर खासी नाराजगी जताई और तन्मय और कल्याणी को फौरन रिहा करने का आदेश दिया. पीड़ित महिला का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में नहीं आया है. ये तीनों महिलाएं जेल में बन्द है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस प्रकार से दोनों महिलाओं को जेल भेजा गया वह सरासर गलत है. ऐसे किसी को जेल नहीं भेज सकते.