पुलिस की मनमानी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। नवाबगंज में 12 साल के बच्चे की हत्या के आरोपितों की तलाश में जुटी पुलिस ने गलतफहमी में एक कारोबारी के घर दबंगई दिखा दी। आधी रात सोरांव पुलिस ने कारोबारी मुकेश कुमार पांडेय के घर छापा मारा। दरवाजा तक तोड़ दिया। परिवार ने विरोध किया तो हंगामा हुआ। एक न्यायिक अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस अपनी गलती मानते हुए बैरंग लौटी। कहा, किसी और के घर दबिश दी जानी थी। कारोबारी ने मुख्य चुनाव आयुक्त, मुख्यमंत्री, डीजीपी और एसएसपी को शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है।
रिश्तेदार के घर आरोपितों के छिपने की जानकारी पर हुई छापेमारी
नवाबगंज इलाके में बाहर साल के बच्चे की हत्या के बाद हंगामा बढ़ा तो कई थानों की पुलिस आरोपितों की तलाश में जुट गईं। पुलिस को सूचना मिली कि सोरांव के रैय्या गांव में आरोपित अपने रिश्तेदार के यहां छिपे हैं। सोरांव पुलिस वाहवाही लूटने के लिए भारी पुलिस बल लेकर गांव पहुंच गई। पुलिस ने आव देखा न ताव रैय्या गांव में रहने वाले सीमेंट सरिया कारोबारी मुकेश पांडेय के घर छापा मार दिया। दरवाजा खोलने में घरवालों को देरी हुई तो आरोप है कि पुलिस ने दरवाजा ही तोड़ दिया। महिलाओं से अभद्रता की। पुलिस की दबंगई की शिकायत कारोबारी ने अपने रिश्तेदार एक अफसर से की तो छापामारी का कारण पूछा जाने लगा। इसके बाद पुलिस वहां से लौटी।
गृहस्वामी ने लगाया पुलिस पर अभद्रता का आरोप
मुकेश पांडेय का आरोप है कि थाना प्रभारी अरुण कुमार चतुर्वेदी और उनकी टीम ने घर में तोडफ़ोड़ की। यह भी आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी नशे में थे। बिना जानकारी के पुलिस ने उनके घर दबंगई दिखाई। वह इस मामले को अदालत में ले जाने की तैयारी में हैं।
कहते हैं इंस्पेक्टर सोरांव
मामले में इंस्पेक्टर सोरांव अरुण चतुर्वेदी का कहना है कि आरोपितों के छिपे होने की सूचना पर पुलिस ने उस गांव में दबिश दी थी। मुकेश पांडेय के घर पुलिस नहीं गई। बाहर से पूछकर ही चली आई। उनके आरोप गलत हैं।