मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने खराब वेंटिलेटर्स के मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। जी दरअसल बेंच का कहना है कि केंद्र सरकार को लोगों की जान की बजाय ऐसे खराब वेंटिलेटर्स बनाने वाली कंपनियों की ज्यादा चिंता है। जी दरअसल, इस समय कुछ अस्पतालों की तरफ से कोर्ट में यह बताया गया है कि पीएम केयर्स फंड के तहत केंद्र से मिले 150 में से 113 वेंटिलेटर्स खराब हैं। इसी को लेकर हाई कोर्ट ने बीते मंगलवार को केंद्र से पूछा था कि खराब वेंटिलेटर्स के लिए केंद्र के पास क्या उपाय है?
यह जानने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिजर जनरल अजय तल्हर ने बीते शुक्रवार को कोर्ट को बताया कि ”इन 150 वेंटिलेटर्स की सप्लाई पीएम केयर्स फंड के तहत नहीं की गई थी।” इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि, ”इन वेंटिलेटर्स को गुजरात की ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन लिमिटेड कंपनी ने बनाया था। औरंगाबाद के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) के डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को वेंटिलेटर्स ऑपरेट करने के लिए सही ट्रेनिंग नहीं दी गई होगी।”
इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा था कि, ”इन वेंटिलेटर्स को जीएमसीएच के डीन की ओर से तय प्रक्रिया के बाद ही बनाया गया था और अब वो ही कह रहे हैं कि मशीनें खराब हैं।” वहीं दूसरी तरफ जस्टिस आरवी घुगे और जस्टिस बीयू देबादवार ने वेंटिलेटर्स के बचाव में दी गई केंद्र की दलील को खारिज कर दिया। जी दरअसल बेंच ने कहा कि ”ऐसा लग रहा है कि एएसजी अजय तल्हर मैनुफैक्चरर की ओर से बात रख रहे हैं। केंद्र के हलफनामे में मैनुफैक्चरर का बचाव किया गया है और वेंटिलेटर्स को चालू कंडीशन में बताने का दावा किया गया है।” इसी दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, ‘अगर केंद्र सरकार ‘ब्लेम गेम’ में न पड़ती तो ज्यादा बेहतर होता। एक-दूसरे पर ठींकरा फोड़ने की बजाय केंद्र को मरीजों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी। किसी भी सरकार के लिए जरूरी यही है कि वो अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की देखभाल करे।”