बिहार का डीजल इंजन कारखाना बंद करेगी मोदी सरकार?

सियासी गलियारे में चर्चा जोरों पर है कि बिहार के मढ़ौरा में प्रस्तावित देश के दूसरे और बिहार के पहले डीजल रेल इंजन कारखाने का निर्माण कार्य अब बंद कर दिया जाएगा. हालांकि प्रदेश के सीएम नीतीश कुमार ने कल पत्रकारों से बातचीत में इसका खंडन करते हुए कहा कि ‘ऐसा नहीं होने वाला है. हम रेलवे मंत्री पीयूष गोयल से इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे’.

क्या करेंगे नीतीश कुमार?

नीतीश कुमार ने आगे कहा कि वो रेलवे मंत्री को मढ़ौरा में बन रहे डीजल रेल इंजन कारखाने की उपयोगिता और महत्व के बारे में समझाएंगे. कहते हैं कि सीएम ने मढ़ौरा डीजल रेल इंजन फैक्ट्री को बंद करने की खबर अखबारों में छपने के बाद तत्काल रेलवे के कई बड़े अधिकारियों से बात की है.

बिहार सरकार में बीजेपी कोटे से आए एक मंत्री का दावा है कि ‘सीएम और मैं दोनों मिलकर उस महत्वपूर्ण और मेक इन इंडिया के तहत बनने वाले प्रोजेक्ट को किसी भी कीमत पर बंद नहीं होने देंगे.

बहरहाल, फैक्ट्री के निर्माण कार्य के बंद होने का कयास तब लगने लगा जब हाल ही में रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने दिल्ली में देश भर में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्टस को जानने समझने के लिए एक समीक्षा बैठक की. इसी बैठक में किसी अधिकारी ने सुझाव दिया कि जब रेलवे में पूरी तरह से विद्युतीकरण की बात की जा रही है तो मढ़ौरा में डीजल रेल इंजन कारखाना बनाने का कोई औचित्य नहीं है.

क्या रेल मंत्री समझेंगे नीतीश कुमार की बात?

मंत्री ने लेखक को बताया कि ‘मैने भी अपने स्तर पर इस मुद्दे पर रेलवे मंत्रालय के संबन्धित अधिकारियों से फौरन बात की. मुझे बताया गया कि मढ़ौरा रेल फैक्ट्री को बंद करने जैसी विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई है. किसी अधिकारी के सुझाव पर कई कागजी विद्वान अपने मन से निष्कर्ष निकाल रहे हैं’.

इन मंत्री जी का मानना है कि फैक्ट्री बंद करने की बात सिर्फ अफवाह है. उन्होंने तर्क दिया ‘अगर कभी बिजली इंजन फेल हो जाएगा, तब डीजल इंजन ही न काम आएगा’.

अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिकल्स के साथ मिलकर पीपीपी मोड में बनाए जा रहे मढौरा डीजल रेल इंजन कारखाने का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. इससे जुड़े एक उच्च अधिकारी का कहना है कि ‘फिनिशिंग टच दिया जा रहा है और हर हाल में ऐग्रीमेंट की तय अवधि, अक्टूबर 2018 में इंजन का प्रोडक्शन शुरू कर दिया जाएगा’.

क्या है कारखाने की लागत?

इस अधिकारी ने बताया कि कारखाना के कंप्लीट करने में लगभग 4000 करोड़ रुपए की लागत आएगी. जिसमें 55 प्रतिशत की राशि खर्च की जा चुकी है. रेलवे लाइन और सड़क बनाने का कार्य भी लगभग 90 प्रतिशत पूरा किया जा चुका है. मशरक पावर ग्रिड से कनेक्शन भी मिल गया है. कारखाना निर्माण के लिए मढ़ौरा के ताल-पुरैना और वाजित-भरोहा चंवर में किसानों से जो 226.90 एकड़ जमीन अधिगृहीत की गई थी उसमें भी 90 प्रतिशत को मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है.

लालू राज में हुई थी शुरुआत

बताते चलें की प्रस्तावित मढ़ौरा डीजल रेल इंजन कारखाना लालू प्रसाद यादव की दिमाग की उपज है. बतौर रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने ही अक्टूबर 2007 में इस फैक्ट्री की आधारशिला रखी थी. किसानों से जमीन अधिग्रहण में आ रही तरह-तरह की बाधाओं को दूर करने-कराने मे आरजेडी अध्यक्ष ने व्यक्तिगत रूचि दिखाई थी.

रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, ‘भूमि अधिग्रहण में विलम्ब को समाप्त करने के लिए लालू प्रसाद यादव ने रेलवे परियोजनाओं के लिए भारतीय रेल अधिनियम-1989 लागू कर दिया था. उसके बाद रेलवे अपनी परियोजनाओं के लिये स्वयं ही भूमि अधिग्रहण की कार्यवाई शुरू कर दी थी.

इसी बीच कारखाना बंद कर दिए जाने की खबर ने कइयों को लालू प्रसाद और बीजेपी नेता तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी को निशाने पर लेने का सुनहरा मौका दे दिया है. बीजेपी के ही एक राज्य स्तर के नेता का कहना है कि ‘अगर मढ़ौरा डीजल रेल इंजन को बंद कर दिया गया तो समझिए संदेश साफ है कि नेतृत्व ने मन बना लिया है कि लालू प्रसाद यादव की राजनीति को चोट पहुंचाने के साथ साथ रूडी के कद की और काट-छांट की जाए.

कारखाने पर सियासत

इन्हीं दो नेताओं के बीच कारखाने की बिसात पर राजनीति करने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी. अपने-अपने तरह से दोंनो दावा करते आ रहे थे कि हमलोगों ने ही इतना बड़े प्रोजेक्ट को सारण की जनता को देने का काम किया है. ऐसे भी लोग है जिनका मानना है कि अगर प्रेाजेक्ट बंद किया जाता है तो सीएम नीतीश कुमार को भी पॉलिटिकल झटका लगेगा. इस कारखाने में लगभग 1000 लोगों को नौकरी मिलने की संभावना है.

इसी बीच छपरा के वरिष्ठ कलमजीवी राकेश सिंह बताते हैं कि मढ़ौरा की जनता को अखबार और सोशल मीडिया के मार्फत ये जानकारी मिल गई है कि केन्द्र सरकार प्रस्तावित डीजल रेल इंजन कारखाना बंद करने की योजना बना रही है. अगर इस मुद्दे पर सरकार की तरफ से जल्द ही कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो हिंसक आंदोलन भड़कने की संभावना भी है. उस स्थिति में लालू प्रसाद यादव और राजीव प्रताप रूडी दोनों को हीरो बनने से कोई नहीं रोक सकता.

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