लद्दाख के कारगिल इलाके को कश्मीर घाटी के साथ जोड़ने वाली जोजिला टनल के निर्माण का काम आज से शुरू हो गया है। टनल के निर्माण कार्य की शुरुआत केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पहले विस्फोट के लिए बटन दबाकर की। इस टनल की लंबाई 14.15 किलोमीटर है और सामरिक रूप से ये काफी महत्वपूर्ण है। इसे एशिया की दो दिशा वाली सबसे लंबी टनल माना जा रहा है।
इस टनल का निर्माण पूरा होने के बाद लद्दाख की राजधानी लेह और जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के बीच पूरे साल आवागमन करना संभव हो पाएगा और दोनों के बीच के सफर में तकरीबन 3 घंटे का समय कम लगेगा।
फिलहाल 11,578 फुट की ऊंचाई पर जोजिला दर्रे में नवंबर से अप्रैल तक साल के छह महीने भारी बर्फबारी होने के कारण एनएच-1 यानी श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवागमन बंद रहता है। अभी इसे वाहन चलाने के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक हिस्से के तौर पर पहचाना जाता है। यह परियोजना द्रास व कारगिल सेक्टर से गुजरने के कारण अपने भू-रणनीतिक स्थिति के चलते भी बेहद संवेदनशील है।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, इस टनल का निर्माण पूरा होने पर श्रीनगर और लेह के बीच पूरा साल संपर्क जुड़े रहने से जम्मू-कश्मीर का सर्वांगीण आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण हो पाएगा।
मंत्रालय ने कहा, यह टनल पूरा होने के बाद आधुनिक भारत के इतिहास में ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। यह देश की रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। खासतौर पर लद्दाख, गिलगित और बाल्टिस्तान क्षेत्रों में हमारी सीमाओं पर चल रही भारी सैन्य गतिविधियों को देखते हुए इसकी बेहद अहम भूमिका होगी।
करीब 30 साल से कारगिल, द्रास और लद्दाख क्षेत्रों की जनता जोजिला टनल के निर्माण की मांग करीब 30 साल से उठा रही थी। इसके निर्माण से एनएच-1 पर बर्फीले तूफानों से होने वाले हादसों से भी बचाव हो पाएगा, जिससे सुरक्षित यात्रा का सपना पूरा होगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान यूपीए सरकार ने इसके निर्माण के प्रयास चालू किए थे, लेकिन तीन बार टेंडर निकाले जाने पर भी कोई कंपनी नहीं मिली थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई, 2018 में इस परियोजना की नींव का पत्थर रखा था और इसके निर्माण की जिम्मेदारी आईएलएंडएफएस को सौंपी गई। लेकिन इस कंपनी के वित्तीय संकट में फंसकर दिवालिया घोषित होने तक पहुंच जाने के कारण 15 जनवरी, 2019 को उसका कांट्रेक्ट रद्द कर दिया गया।
इस साल फरवरी में केंद्रीय मंत्री गडकरी ने परियोजना की समीक्षा की और दोनों सड़क एक ही टनल में बनाए जाने का निर्णय लिया गया। इसके चलते पहले 10,643 करोड़ रुपये के कुल खर्च वाले इस प्रोजेक्ट की लागत कम हो गई।
इसके बाद 4509,5 करोड़ रुपये का टेंडर डालने वाली मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को इसके निर्माण की जिम्मेदारी दी गई। अब प्रोजेक्ट की कुुल लागत 6808.63 करोड़ रुपये बैठेगी यानी सरकार को करीब 3835 करोड़ रुपये की बचत होगी।