जीवन में आने वाली अनचाही आर्थिक दिक्कतों से बचने के लिए हम सभी को इसके लिए पहले से तैयार रहना चाहिए। हमारी कोशिश आर्थिक मामलों में समझदारी से प्लानिंग करने की होती है लेकिन कई बार छोटी सी गलती भी बड़ा नुकसान कर देती है। ऐसी 7 गलतियों के बारे में आपको जानना जरूरी है, जो आपको नुकसान से बचा सकती है।
अपने खर्चों की प्लानिंग न करना-
अधिकांश लोग जो सबसे बड़ी गलती करते हैं वह यह है कि वह अपने खर्चों की पहले से प्लानिंग नहीं करते हैं। मसलन, रणनीति की कमी रहती है। अगर आप पैन और कागज लेकर अपना बजट तय नहीं करते सकते हैं तो स्मार्टफोन के जमाने में यह काम अब काफी सरल हो गया है। जानकारी के लिए बता दें कि लोग वॉलेट, मॉनिफाई-मनी मैनेजर और मनी मैनेजर एक्सपेंस एंड बजट जैसी एप्स आपेक काम आ सकती हैं। साथ ही इनके जरिए आप अपने खर्चों को ट्रैक भी कर सकते हैं।
निवेश न करना-
लोग दूसरी सबसे बड़ी गलती निवेश न करके करते हैं। अगर आप उन निवेशकों में से हैं जो सुरक्षित निवेश विकल्प की तलाश में हैं तो बता दें कि सरकारी स्कीम्स आपके काम आ सकती हैं। इनमें पब्लिक प्रॉविडेंट फंड या बैंक डिपॉजिट जैसे विकल्प आपके लिए मददगार हो सकते हैं। अगर आप ऊंचे रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं तो शेयर बाजार या म्युचुअल फंड आपके लिए अच्छे ऑप्शन्स हो सकते हैं। लेकिन शेयर बाजार में निवेश करने से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी जरूर हासिल कर लें।
कई बार इंवेस्टर्स स्कीम के ऑफर दस्तावेजों को सही से नहीं पढ़ते हैं। इन दस्तावेजों में फंड कहां निवेश होगा, किस एसेट क्लास में होगा और किस सेगमेंट में होगा जैसी जानकारी स्पष्ट दी होती हैं। इसलिए उदेश्यों और सेगमेंट्स को समझने से निवेशक अपने फंड्स और जोखिम के बारे में जान सकते हैं।
अपने निवेश को डायवर्सिफाई न करना-
म्युचुअल फंड से बेहतर रिटर्न पाने के लिए अपने म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो को विभिन्न एसेट क्लास में डायवर्सिफाई करें। इससे आपको लगातार रिटर्न मिलता रहता है। आपको बता दें कि एसेट एलोकेशन और फंड का चुनाव अपने वित्तीय लक्ष्य, निवेश अवधि और जोखिम की क्षमता के आधार पर करना चाहिए।
नियमित रूप से रिव्यू न करना-
सुनिश्चित करें कि आप नियमित रूप से अपने फंड के प्रदर्शन को रिव्यू कर रहे हैं। साथ ही अपनी उम्र, जोखिम क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर पोर्टफोलियो में फेरबदल कर रहे हैं। ऐसा करने से बाजार की स्थिति के हिसाब से आपका निवेश सक्रिय रहता है जिससे निवेश अवधि के दौरान बेहतर रिटर्न मिल पाते हैं। तब तक अपने निवेश को बनाए रखें जबतक कि आपके वित्तीय लक्ष्य पूरे नहीं हो जाते।
गलत फंड का चयन-
अधिकांश निवेशक अपनी जरूरतों को बिना जाने, बिना रिसर्च और विश्लेषण किए निवेश कर देते हैं। निवेशक को निवेश करने से पहले अपने निवेश के उद्देश्य, रिटर्न की उम्मीद और जोखिम उठाने की क्षमता के बारे में पता होता चाहिए। इसके बाद निवेशक को अपनी निवेश अवधि तय करनी चाहिए। साथ ही इस बात को भी सुनिश्चित कर लें कि निवेश लंप-सम में या फिर नियमित समय पर करना हैं। फंड का चयन करते समय यह जरूर देखे कि कौन सा फंड आपकी सारी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। इसके बाद सलेक्ट किए गए फंड का बीते वर्षों में प्रदर्शन, एक्सपेंस रेश्यो, मौजूदा पोर्टफोलियो और अन्य चीजों का विश्लेषण करें।
रिटर्न की तुलना करना-
लोग एसआईपी और लंपसम निवेश पर मिलने वाले रिटर्न की अक्सर तुलना करते हैं। ऐसा करना गलत है। रिटर्न की तुलना इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंकि लंबी अवधि में इन दोनों तरीकों से मिलने वाले रिटर्न में ज्यादा अंतर नहीं होता है। एक विश्लेषण से यह पता चला है कि डाइवर्सिफाइड फंड्स में 10 और 15 वर्ष की समयावधि में दोनों तरीकों एसआईपी और लंपसम रिटर्न में महज 2 फीसद तक का अंतर था। हालांकि, एक से पांच साल की समयावधि में रिटर्न का अंतर बहुत ज्यादा था।