सभी अपने घर में सुख, समृद्धि और शांति चाहते हैं। इसके लिए हर कोई अनोखे तरह की चीजें अपने घर में रखता है, जिन्हें हम लकी चार्म कहते हैं। जिस प्रकार चीनी मान्यता में लाभ के लिए फेंगशुई आईटम रखे जाते हैं जिन चान को मनी टोड के नाम से भी जाना जाता है यानी पैसे वाला मेंढक। लाल आंखें व तीन पैरों वाला बड़ा-सा मेंढक सिक्कों के ढेर पर बैठा होता है। चीन में मिलने वाले इस लकी चार्म के मुंह में भी सोने का सिक्का होता है।
माना जाता है कि अगर मेंढक के मुंह में सिक्का न हो तो इसे ऐसे जगह रखें कि उसका मुंह घर के बाहर की ओर हो, ताकि वह पैसों को अपनी जीभ से खींचकर घर के अंदर ले आए। मान्यता है कि इसे घर में रखने से धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती।
ठीक उसी प्रकार भारत में हाथी को भगवान गणेश के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। हाथी की उम्र लंबी होती है और वह बेहद समझदार जानवर है, इसलिए भी हाथी मूर्ति को घर में रखाना अच्छा माना जाता है।
ब्रिटेन में परंपरा है कि क्रिसमस के दौरान पुडिंग बनाते समय उसमें एक सिल्वर कॉइन डाल दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पुडिंग खाते समय जिस गेस्ट के हिस्से में यह सिक्का आता है, उसका आने वाला नया साल बहुत अच्छा रहता है। सेंट्रल अमेरिका स्थित ग्वाटेमाला में वरी डॉल (उदास गुड़िया) काफी लोकप्रिय है। इस छोटी-सी गुड़िया को तार, ऊन और रंग-बिरंगे कपड़ों से तैयार कर वहां के पारंपरिक कपड़े पहनाए जाते हैं। यह गुड़िया उदास बच्चों को दी जाती है और उन्हें कहा जाता है कि अगर वो रात को इसे अपने तकिये के नीचे रखकर सोएंगे, तो यह गुड़िया उनकी सभी परेशानियों को ले लेगी।
नॉर्थ अमेरिका के इलाके में रैबिट फुट को बेहद लकी माना जाता है। आध्यात्मिक तौर पर इसे हूडू के नाम से बुलाया जाता है। जर्मन कल्चर में पिग को खुशहाली व धन-दौलत का प्रतीक चिह्न माना गया है। जंगली सुअर को सभी पिग का राजा माना गया है। मध्य यूरोप के पॉलैंड, आस्ट्रिया, क्रोआटिया व स्लोवेकिया जैसे देशों में कॉर्प यानी मछली को खाना शुभ माना जाता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर इस मछली को घोड़ी की नाल के आकार में काटकर खाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे सब कुछ अच्छा होता है। कुछ लोग तो मछली की खाल को क्रिसमस की अगली पूर्व संध्या तक संभालकर रखते हैं, ताकि पूरा साल अच्छा बीते।
नॉर्वे में माना जाता है कि एकॉर्न (एक प्रकार का फल) को खड़की पर रखने से बुरी किरणें घर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाती हैं। एकॉर्न ओक के पेड़ से मिलता है। नॉर्वे में रहने वाले लोगों का कहना है कि तूफान और रोशनी के देवता थोर ने ओके के पेड़ जगह-जगह फैला दिए थे। इसलिए जिस प्रकार ओक के पेड़ बुरी किरणों को अपने में खींच लेते हैं, उसी तरह का काम एकॉर्न भी करता है।
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