आज से ठीक 60 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के वेस्टमिनिस्टर में आयोजित कार्यक्रम भारत की बात में जहां अपने मन की कई बातों को उजागर किया था। किसी को तब शायद ही इल्म रहा हो कि अब आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑल आउट सरकार की पहली प्राथमिकताओं में से एक बन जाएगी। प्रधानमंत्री ने तभी चेताया था और बाद में रमजान के पवित्र महीने के मद्देनजर 16 मई को सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ अभियान पर एक माह के लिए रोक की घोषणा भी की थी।
अब गठबंधन की मजबूरी को एक तरफ रख कर आतंक के अंत की ओर सरकार जुट गयी लगती है। राम माधव ने भी आज कहा, ‘रमजान के महीने में हमने सीजफायर कर दिया था। हमें उम्मीद थी कि राज्य में इसका अच्छा असर दिखेगा। यह कोई हमारी मजबूरी नहीं थी, न तो इसका असर आतंकवादियोें पर पड़ा और न हुर्रियत पर।
राम माधव ने कहा कि केंद्र सरकार ने घाटी में हालात संभालने के लिये पूरी कोशिश की है। आतंकवाद के खिलाफ हमने व्यापक अभियान चलाया था जिसका हमें फायदा भी हुआ। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद आतंकवाद के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। घाटी में शांति स्थापित करना हमारा एजेंडा था, लेकिन उस दिन प्रधानमंत्री ने जो लंदन के मंच से कहा था वो यहां आज के सन्दर्भ में याद दिलाना ज़रूरी हो जाता है।
जब दिया था पाकिस्तान को जवाब
लंदन के उस कार्यक्रम के दौरान सर्जिकल स्ट्राइक और पाकिस्तान से उपजे आतंकवाद से संबंधित एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि जब कोई टेरेरिज्म एक्सपोर्ट करने का उद्योग बना करके बैठा हो, मेरे देश के निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया जाता हो, युद्ध लड़ने की ताकत नहीं है, पीठ पर प्रयास करने के वार होते हों; तो ये मोदी है, उसी भाषा में जवाब देना जानता है।