एक ऐसा थाना जहां दारोगा एक दिन के लिए बनता है राजा

वैसे तो देश नें हजारों पुलिस स्टेशन हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के धमतरी में सिहावा थाना दूसरों थानों से अलग है।

नई दिल्ली। किसी ने सच कहा है कि भारत अद्भुत है। यहां का जर्रा जर्रा कुछ न कुछ कहानी सुनाता है। पहाड़ से लेकर पठार और मैदान से लेकर रेगिस्तान तक भारतभूमि जहां मनमोहक छटा का दर्शन कराती है तो वहीं इतिहास को समेटे हुए पत्थरों की इमारतें सिर्फ पत्थर नहीं हैं बल्कि भारत के संपूर्ण चरित्र को पेश करती हैं। उनमें से ही खास छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में सिहावा पुलिस थाना है।

एक ऐसा थाना जहां दारोगा एक दिन के लिए बनता है राजा

1898 में ब्रिटिश शासन के दौरान सिहावा थाने के भवन का निर्माण किया गया था। बताया जाता है कि इस जगह से लोगों की जनभावना जुड़ी हुई है। लिहाजा किसी धार्मिक कार्य को संपन्न कराने से पहले यहां के थानेदार को सबसे पहले बुलाया जाता है। इतना ही थानेदार को राजा जैसा सम्मान मिलता है।

1898 में ब्रिटिश शासन के दौरान सिहावा थाने के भवन का निर्माण किया गया था। बताया जाता है कि इस जगह से लोगों की जनभावना जुड़ी हुई है। लिहाजा किसी धार्मिक कार्य को संपन्न कराने से पहले यहां के थानेदार को सबसे पहले बुलाया जाता है। इतना ही थानेदार को राजा जैसा सम्मान मिलता है।

 एक सिहावा, रूप अनेक

रायपुर से धमतरी होते हुए 140 किलो मीटर पर नगरी-सिहावा है। यहां रामायण कालीन सप्त ॠषियों के प्रसिद्ध आश्रम हैं। नगरी से आगे चल कर लगभग 10 किलोमीटर पर भीतररास नामक ग्राम है। वहीं पर श्रृंगि पर्वत से महानदी निकली है। कर्णेश्वर महादेव मंदिर, गणेश घाट, हिरंगी हाथी खोट का आश्रम, दंतेश्वरी की गुफा, अमृत कुंड और महामाई मंदिर उल्लेखनीय पवित्र स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

महानदी का उद्गम है सिहावा

महानदी छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सबसे बड़ी नदी है। प्राचीनकाल में महानदी का नाम चित्रोत्पला था। महानन्दा एवं नीलोत्पला भी महानदी के ही नाम हैं। महानदी का उद्गम रायपुर के समीप धमतरी जिले में स्थित सिहावा नामक पर्वत श्रेणी से हुआ है। महानदी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की तरफ है। सिहावा से निकलकर राजिम में यह जब पैरी और सोढुल नदियों के जल को ग्रहण करती है तब तक विशाल रूप धारण कर चुकी होती है। ऐतिहासिक नगरी आरंग और उसके बाद सिरपुर में वह विकसित होकर शिवरीनारायण में अपने नाम के अनुरुप महानदी बन जाती है। महानदी की धारा इस धार्मिक स्थल से मुड़ जाती है और दक्षिण से उत्तर के बजाय यह पूर्व दिशा में बहने लगती है।

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