गांव के लोगों के रोजगार के बारे में आम राय तो यही है कि गांव वाले खेती बाड़ी करते हैं लेकिन एक अनूठा गांव ऐसा भी है जहां के लोगों की पसंद ज़रा हटकर है। फिल्मों में एक्टिंग करना यहां के लोगों का प्रिय शगल है। हल से ज़्यादा कैमरे का सामना करना इनके अनुभव में शामिल है।
यह इनकी कमाई का ज़रिया भी है और शौक भी। राजस्थान के गांव मंडावा को अगर हम ग्रामीण कलाकारों की खान कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। कमाल का संयोग है कि इस गांव के तकरीबन हर शख्स ने कभी ना कभी, किसी ना किसी फिल्म में कोई किरदार निभाया है। यही वजह है कि बॉलीवुड के फिल्मकारों की निगाह में यह जगह अपनी पहचान बना चुकी है, जिसके चलते फिल्ममेकर स्थानीय लोगों के संपर्क में रहते हैं।
8 जुलाई को यहां चेतन भगत के उपन्यास हाफ गर्लफ्रेंड पर आधारित फिल्म की शूटिंग शुरू होने को है। फिल्में ही नहीं यहां एलबम, विज्ञापन फिल्मों की शूटिंग भी जारी रहती है। असल में निर्माता-निर्देशकों को यहां का परिवेश और स्थानीयता सूट कर जाती है इसलिए यहां रोल, कैमरा, एक्शन की आवाज सुनाई देना आम बात हो गई है।
गांव के रोजगार का ज़रिया
शूटिंग के चलते गांव की अर्थव्यवस्था में उछाल बना रहता है। लोगों को रोजगार मिलता है। एक बार की शूटिंग से ही करीब 30 से 35 करोड़ रुपए की आय हो जाती है। इसमें फिल्म यूनिट के रुकने व शूटिंग का खर्च मिलाकर स्थानीय कलाकारों का मेहनताना भी शामिल है। बेहतर पैसा मिलने से लोगों का जीवन-स्तर भी सुधरा है। फिल्मी कलाकारों को देखने के लिए आसपास के इलाकों से भी भीड़ उमड़ती है, जिससे चहल-पहल बनी रहती है।
36 साल से सफर जारी
यहां पहली शूटिंग 1980 में फिल्म गुलामी की हुई थी। उसके बाद से सिलसिला थमा नहीं है। एक अनुमान के अनुसार यहां अभी तक करीब डेढ़ से दो हज़ार फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। यही कारण है कि ये जगह सिनेमा पर्यटन के रूप में उभरी है।
क्या है खासियत
चूंकि यह गांव राजस्थान का है इसलिए यहां पुरातन हवेलियां अपने भव्य एवं सुंदर स्वरूप में मौजूद हैं। शूटिंग के लिए ऐसी लोकेशन परफेक्ट मानी जाती है। मुगलकाल की सभ्यता के निशान यहां अब तक मौजूद हैं, जो शूट किए जाते हैं। फिल्मकारों का यहां इतना रूझान देखते हुए लोगों ने अपने घरों की साज-संभाल शुरू कर दी है।
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